मुजफ्फरनगर । आज श्रीराम ग्रुप आफ कालेजेज के सभागार में श्रीराम ग्रुप आफ कालेजेज एवं कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से ’’मुज़फ्फरनगर से कृषि निर्यात प्रोत्साहन हेतु क्षमता निर्माण कार्यक्रम’’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के कौशल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल, विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ वीरपाल निर्वाल, जिलाधिकारी चन्द्रभूषण सिंह, भाकियू पेटर्न बोर्ड के चेयरमैन राजेन्द्र मलिक, श्रीराम कालेज आफ ग्रुप के चेयरमैन डॉ एस0सी0 कुलश्रेष्ठ, पूर्व विधायक उमेश मलिक पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान, भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक व पीजेंट पेटर्न बोर्ड के चेयरमैन सुभाष चौधरी के आलावा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपेडा) के अधिकारी सहित कृषि से सम्बन्धित अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक प्रगतिशील किसान दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम का उद्देश्य जिले में बासमती चावल, गुड़, फल-सब्जी और फूल आदि के निर्यात, कृषि उत्पाद के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, बाजार की मौजूदा चुनौतियों एवं कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करना एवं भविष्य की सम्भावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
इस अवसर पर पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ वीपी सिंह (बासमती चावल के जनक) ने बताया कि हमें अपनी आय को बढाने के लिये कृषि उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि करना तथा उनका बोआई एवं कटाई का एक सही समय पता होना बहुत उचित है तथा धान की एक अच्छी उपज तथा अच्छी कीमत लेने के लिये अच्छे किस्म के बीजों का उगाना जरूरी है। आज के समय में रोग रहित तथा कीट रहित अनेक धान की प्रजातियॉं बाजार में उपलब्ध है तथा जिनका बाजार में मूल्य बहुत अच्छा है तो हमें अपनी आय को बढाने के लिये उन बीजों का खेत में लगाना आवश्यक है।
इस अवसर पर धर्मेन्द्र मलिक महासचिव, राष्ट्रीय प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने बोलते हुये कहा कि हमारे मुजफ्फरनगर जिले के किसान अपने उत्पाद को बेचने के लिये दूसरे राज्यों में जाना पडता है जिस कारण उन्हें अपने कृषि उत्पाद का आदान-प्रदान सही और समय से नहीं हो पाता हैं। उन्होंने बताया कि एपीडा उद्यान विभाग के द्वारा किसानों को प्रशिक्षण देने का कार्य भी कर है, जिससे निर्यात के मानकों के अनुरूप ही किसान अपनी पैदावार बढ़ा सकें। जनपद मुज़फ्फरनगर में इसकी बहुत सम्भावनायें है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर में अभी हाल में ही जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की मौजूदगी में हुई बैठक में दो गुड़ निर्यात कंपनियों (गुड निर्यातक कंपनी हिंदुस्तान एग्रो लिमिटेड व हेल्थमिस्त ऑयल एंड फूड प्राइवेट लिमिटेड) और 40 किसानों के बीच 150 करोड़ रुपये के एमओयू (मेमोरेडम ऑफ अंडरस्टेडिंग) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। अमेरिका, फ्रांस, ईरान, यूके, सिंगापुर, श्रीलंका और कुवैत आदि देश गुड को खरीद रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि कुछ इस तरह का प्रयास जनपद मुज़फ्फरनगर में भी यह होना चाहिए।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समन्वयक एवं श्रीराम कॉलेज के निदेशक डा0 अशोक कुमार ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के विषय में जानकारी देते हुये बताया कि यह संगोष्ठी श्रीराम ग्रुप आफ कालेजेज एवं कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से ’’मुज़फ्फरनगर से कृषि निर्यात प्रोत्साहन हेतु क्षमता निर्माण कार्यक्रम’’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान मुजफ्फरनगर के किसान को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने तथा जिले में ंबासमती चावल, गुड़, फल-सब्जी और फूल आदि के गुनवत्तापूर्ण उत्पादन एवं निर्यात एवं उनसे संबंधित चुनौतियों और सम्भावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि एपीडा और लघु कृषक कृषि व्यापार संघ के बीच हुये समझौते के अनुसार एस एफ ए सी छोटे और सीमांत किसानों को किसान हित समूहों, किसान उत्पादक संगठनों और किसान उत्पादक कंपनी को संगठित करता है और छोटे और सीमांत किसानों को कृषि निवेशों की सुलभता और सस्ती उपलब्धता के लिए एक मंच प्रदान करता है। उन्होने कहा कि संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञों ने यह मांग रखी कि उपरोक्त सुविधा जनपद मुज़फ्फरनगर में भी शुरू होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि एक दिवसीय संगोष्ठी में इस बात पर चर्चा की गई कि केंद्र सरकार द्वारा डेयरी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के उददेश्य से कुछ विशिष्ट कृषि उत्पादों के लिये परिवहन और विपणन सहायता (टीएमए) योजना का दायरा बढ़ाते हुये डेयरी उत्पादों को भी इस में शामिल किया है अतः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डेयरी व्यवसाय के क्षे़त्र एवं उत्पाद के निर्यात में असीम सम्भावना है। देश में सहकारिता और डेयरी के सहयोग के बिना जैविक खेती को बढ़ावा देना मुमकिन नहीं है इसलिये डेयरी उत्पादों के उत्पादन के लिए निर्यात उन्मुख फ़ूड पार्कों के साथ किसानों के उत्पादन संगठनों (एफ.पी.ओ.) को जोड़े जाने विश्व व्यापार संगठन के अनुकूल निर्यात बढ़ाने के लिए डेयरी निर्यात क्षेत्र (डी.ई.जैड.) और जैविक उत्पाद निर्यात क्षेत्र (ओ.पी.ई.जैड) के विकास पर विचार करने की जरूरत है। एक जिला एक उत्पाद योजना के द्वारा उत्तरप्रदेश के सभी जिलों का अपना एक प्रोडक्ट होगा, जो उस जिले की पहचान बनेगा। आज का समय वैल्यू एडिशन का है, यानी अपने प्रोडक्ट में कुछ दूसरी चीज़े जोड़कर उसकी क्वालिटी को कई गुना बेहतर करना होता है, जिसकी वजह से मांग में बढ़ोतरी होती है। भारतीय गन्ना शोध संस्थान, लखनऊ के अनुसार मॉडर्न गुड़ यूनिट लगाने से गुड़ की क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों बढ़ाई जा सकती है। इसकी बाजार में बेहतर कीमत मिलती है।
उन्होंने जानकारी देते हुये बताया कि संगोष्ठी में इस बात की जानकारी दी गई कि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा एक जिला एक उत्पाद के लिए अनुमोदित कर दिया गया है। और इन इनक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से नए उद्यमियों को विभिन्न प्रकार प्रशिक्षण की सुविधा व अन्य मदद प्राप्त होगी।
भारत में किसानों की आमदनी को दो गुना करने के लिये नये-नये बदलाव किये जा रहे हैं। इस बीच किसानों को भी महंगी और नकदी फसलों की खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि बाजार में भी सबसे ज्यादा इन्हीं फसलों की मांग और कीमत होती है। ऐसी ही मंहगी और नकदी फसल में काला अमरूद शामिल हो गया है।
संगोष्ठी में इस बात पर भी चर्चा हुई कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश डेयरी उत्पादों, प्रोसैस्ड फल-सब्जियों, मक्का और मक्का उत्पादों, बासमती चावल, शहद, ताजी सब्जियों और फलों के क्षेत्र में कृषि निर्यात का क्षेत्र बन सकता है। इस क्षेत्र में आलू, भिंडी, मटर, गोभी, अंग्रेजी गाजर, हरी मटर, बीन, टमाटर जैसी सब्जियों का कारोबार अभी स्थानीय मंडियों व आसपास के राज्यों में हो रहा है, जिसे निर्यात बाजार में उतारे जाने की जरूरत है। इस क्षेत्र से अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कार्गाे सैंटर नजदीक है, इसलिए यहाँ कृषि उत्पाद निर्यात की सम्भावना अधिक है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी क्षेत्र में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपेडा) द्वारा किए गए अनेक ठोस उपायों को जारी रखने के साथ-साथ ‘वाराणसी एक कृषि निर्यात हब परियोजना को मूर्तरूप देने की प्रक्रिया के अच्छे नतीजे निकलने शुरू हो गए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एपीडा की भूमिका बढनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले प्रतिदिन 48 टन आलू की प्रोसेसिंग करने की क्षमता वाले 140 करोड़ रुपये के मदर डेयरी के एक प्लांट का उद्घाटन किया था। गुजरात के इस प्रोसेसिंग प्लांट में फ्रोजन-फ्रेंच-फ्राई के अलावा फ्रोजन चिप्स, आलू टिक्की, बर्गर पैटी आदि का उत्पादन होता है।इस साल मदर डेयरी ने क्षेत्र के किसानों के साथ हुए अनुबंध के तहत करीब 10,000 टन आलू की खरीद की है, इस से वहां के किसानों को लाभ होगा।
संगोष्ठी के दूसरा सत्र तकनीकि सत्र रहा जिसमें मुख्य रूप से डा0 गजे सिंह, कीट विज्ञान विभाग, सरदार वल्लभ भाई पटेल विश्वविद्यालय, मेरठ एवं डा0 प्रियंका सिंह वैज्ञानिक गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के द्वारा किसानो को अच्छी गुणवत्ता वाले कृषि उत्पाद के साथ-साथ उपज में बढोत्तरी के बारे में बताया गया तथा पहले कार्बनिक खेती के बल पर फसलों को उगाया जाता था जिससे अनेकों तरह की बीमारियॉं से बचाव एवं कृषि उत्पादों की गुणवत्ता पूर्ण रूप से बनी रहती थी लेकिन आज के समय में रासायनिक खेती के साथ-साथ कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में भी काफी गिरावट आ रही है। जिसकारण बाजार में उनका मेल्य सही नहीं मिल पाता है।
इस अवसर पर डा0 के0पी0 सिंह, सेवानिवृत्त, जनरल मैनेजर बजाज शुगर मिल एवं चीफ एग्जीक्यूटीव ऑफिसर हंस हेरीटेज इंडस्ट्रीज ने कहा कि हमें गुड की गुणवत्ता बढाने के अपने खेतो की मर्दा की जांच करानी चाहिये तथा मर्दा के अंदर सभी सुक्षम तत्व उचित रूप में उपस्थित होने चाहिये तथा जिस तत्व की कमी हमें मर्दा के अंदर दिखाई दे रही है उसको कार्बनिक तरीके से पूर्ति करना चाहिये। यदि सम्भव हो तो कार्बनिक तरीके से ही कीटों एवं रोगो की रोकथाम करनी चाहिये।
कार्यक्रम के अंत में श्रीराम ग्रुप आफ कालेजेज के चेयरमैन डा0 एससी कुलश्रेष्ठ द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी किसानो को धन्यवाद ज्ञापित किया गया और भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम श्रीराम कॉलेज,मुजफ्फरनगर के कृषि विभाग द्वारा कराते रहेगे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डा0 प्रेरणा मित्तल, प्राचार्य श्रीराम कॉलेज, मुजफ्फरनगर, निशांत राठी, डीन कम्प्यूटर एप्लीकेशन, डा0 विनीत शर्मा, आईक्यूएसी समन्वयक, डा0 नईम, विभागाध्यक्ष कृषि विज्ञान विभाग, डा0 रवि गौतम विभागाध्यक्ष, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, डा0 विक्रान्त, डा0 अंजलि, मुकूल, आबिद, सचिन, सुरज, राजकुमार, सुमित, विकास, जितेन्द्र एवं छात्र-छात्राओं का विशेष सहयोग रहा।