गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

बिफरी अंजू अग्रवाल ने ब्लैकमेलरों को दी चेतावनी

 


मुजफ्फरनगर । नगर पालिका परिषद की पूर्व चेयरमैन अंजू अग्रवाल ने अपने ऊपर लगाए गये आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि 29 जनवरी को हुई बोर्ड बैठक के समाचार तमाम मीडिया में चले जिसमें दो सभासद गण द्वारा मेरा नाम लेकर कहा  कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर नगर पालिका विद्यालय में मेरे जाने से बोर्ड का अपमान हुआ है। यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है की उन्हें नियम कानून और संविधान की कोई जानकारी न होने पर इस तरह का गरिमामई सदन में मुझे अपमानित किया गया। जबकि इन लोगों को मालूमात होना चाहिए की नगर पालिका विद्यालय एवं नगर पालिका पब्लिक प्रॉपर्टी है किसी की पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है और संवैधानिक अवसर पर कोई भी सामान्य नागरिक कहीं भी देश भक्ति कार्यक्रम में प्रतिभागी हो सकता है। 

इसके अलावा लोकायुक्त प्रकरण का समाचार पढ़कर आश्चर्य हुआ कि बिना मेरा वर्जन  लिए ही समाचार प्रकाशित हुए हैं, जबकि कम से कम मेरा वर्जन तो लेना चाहिए था! लोकायुक्त शिकायती प्रकरण में ब्लैकमेलर शिकायतकर्ता द्वारा जो शिकायत की गई है उसमें वर्ष 2012 से मार्च 2018 तक की शिकायत की गई है जबकि मेरे द्वारा नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में 12 दिसंबर 2017 को शपथ ग्रहण करते हुए पालिका अध्यक्ष का कार्य भlर ग्रहण किया गया था। इस प्रकार मेरे कार्यकाल की मात्र 3 माह की शिकायत है, शिकायत में उठाई गई बिंदु में सरवट  शिव मंदिर खट्टों की भूमि मैं दुकानों के निर्माण से संबंधित है l इसमें वर्ष 1966 से 1996 तक 30 वर्षों के लिए तत समय के बोर्ड के  द्वारा लीज पर दी गई थी। उस समय मैंअध्यक्ष ही नहीं थी। अपर जिला अधिकारी प्रशासन द्वारा जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेजी गई रिपोर्ट में यह स्पष्ट वर्णित किया गया है कि जब दुकानों का निर्माण हो रहा था इस समय पालिका को निर्माण कार्य रुकवाना  चाहिए था तथा मामला शिव मंदिर का होने के कारण अब इसे छेड़ा जाना भी उचित नहीं है। ऐसी स्थिति में जब मैं अध्यक्ष ही नहीं थी तो मेरे द्वारा अवैध रूप से पालिका भूमि पर कब्जा करवाए जाने जैसी शिकायत स्वयं में निरर्थक एवं निराधार है जबकि मेरे द्वारा अपने कार्यकाल में बिना किसी पुलिस फोर्स के पालिका की श्मशान घाट जनकपुरी तथा रुड़की रोड पर पालिका भूमि से अवैध कब्जा हटाते हुए बारातघर का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा मोहल्ला सरवट में ही पार्क की भूमि कब्जा मुक्त कराई गई तथा नई मंडी में थाने के पास की भूमि भी कब्जा मुक्त कराई गई है।  जहां तक ग्रहकर एवं जलकर की कम वसूली की शिकायत है वह पूर्ण रूप से निराधार है क्योंकि सेल्फ एसेसमेंट करlते हुए आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों पर करारोपण कराया गया,  तथा 100% वसूली कराई गईl जनता की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन गृहकर एवं जलकर जमा करने की सुविधा भी प्रदत की गई। 

इस प्रकार शिकायत निराधार हैं। इसके अलावा श्री गोपीचंद लिपिक की शिकायत की गई है कि उनके द्वारा जल मूल्य के बिलों में धन राशि घटाई गई है जबकि इस तरह की कोई शिकायत लिखित अथवा मौखिक मेरे उल्लिखित 3 महीने के कार्यकाल में नहीं आई है और ना ही शिकायतकर्ता द्वारा किसी भवन का इस तरह का कोई उल्लेख किया गया है जबकि जलकल विभाग में जलकल अभियंता जांच  करता अकाउंटेंट और अधिशासी अधिकारी इसकी देख रेख के लिए है। लोकायुक्त प्रकरण में दर्शाया गया है की एक व्यक्ति के शपथ पत्रों के आधार पर तीन जन्म प्रमाण पत्र बने हैं यह भी साढे तीन महीने की परिधि में नहीं आते हैं माह रजिस्ट्रार  नई दिल्ली द्वारा स्पष्ट आदेश हैं की जन्म मृत्यु का कार्य नगरीय निकाय में  रजिस्ट्रार द्वारा संपादित किया जाएगा और इसका एक पूरा प्रोसेस यह है कि शपथ पत्र के आधार पर जो  जन्म अथवा मृत्यु प्रमाण पत्र बनता है वह पहले सक्षम अधिकारी नगर मजिस्ट्रेट के सामने शपथ पत्र आवेदक प्रस्तुत होता है फिर उस पर रजिस्ट्रार जांच करने के बाद नगर मजिस्ट्रेट की स्वीकृति लेकर सर्टिफिकेट जारी करते हैं। इसमें अध्यक्ष की  कोई भूमिका नहीं होती। ऐसी स्थिति में यह शिकायती बिंदु स्वयं में ही निराधार है। शिकायतकर्ता द्वारा एक और निरर्थक बिंदु उठाया गया जिसमें उल्लेख है की श्री प्रवीण कुमार लिपिक की नियुक्ति अवैध रूप से की गई है जबकि उनकी नियुक्ति शासन के आदेश के अनुरूप  वर्ष 1989 मैं हुई है,  मेरे द्वारा प्रवीण कुमार की नियुक्ति ही नहीं की गई तो शिकायत का आधार ही गलत है। कोई भी आरोप सिद्ध नहीं होता है इसका कोई भी नागरिक नगर पालिका में अभिलेख से पुष्टि कर सकते हैं lमैंने लोकायुक्त उत्तर प्रदेश एवं मुख्य सचिव नगर विकास को तथ्यात्मक एवं  प्रमाण सहित जवाब भेजा है। जिस पर पुनर्विचार तथा तथा सुनवlइ का अवसर प्रदान करने का आग्रह किया गया है अभी तक इसका कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है, जवाब प्राप्त होने पर यह यथोचित विधिक कार्यवाही की जाएगी। मैंने पालिका का जब प्रभार ग्रहण किया था तो उस वक्त पालिका लगभग 16 करोड रुपए के कर्ज में थी और जब मैंने अपना कार्यकाल पूरा किया तो कर्ज की धनराशि समाप्त करते हुए और विकास कार्य करने के पश्चात लगभग 90 करोड़ से अधिक के प्रॉफिट में पालिका को छोड़ा है जिससे शहर का विकास चल रहा है। ऐसे में कदाचार जैसी बातें शिकायतकर्ता की ब्लैकमेलिंग के अलावा और कुछ नहीं है। मैंने आय अधिक और व्यय कम के सिद्धांत पर चलकर पालिका का कुशल संचालन कराया है। मैं अपमानित करने वाले इन ब्लैकमेलर लोगों के बारे में अपने विधिक सलाहकार से राय मसाला करके इन पर मानहानि की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत विधि कार्रवाई करने पर भी विचार कर रही हूं। 

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