मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024

लाल किले पर झंडा फहराने का मामला वापस नहीं लेगी सरकार


चंडीगढ़। केंद्र और किसान संगठनों में बातचीत केवल 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य  की गारंटी की मांग पर ही नहीं बल्कि अन्य मांगों को लेकर भी रुकी हुई है। इनमें सबसे बड़ी मांग किसानों पर तीन कृषि सुधार कानून  के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान दर्ज हुए सभी तरह के केस वापस लेने की है। इन बैठकों में शामिल हो रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराने  वाले केस को रद्द करने के मूड में नहीं हैं।  इसको लेकर  मामला उलझा हुआ है। अधिकारी के अनुसार बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि इस केस को छोड़कर शेष सभी केस वापिस ले लिए जाएंगे। इस पर किसानों ने कहा कि क्या यह जघन्य अपराध की श्रेणी में है तो मंत्रियों ने कहा कि हां, यह जघन्य अपराध है। दरअसल, जिन दो किसान संगठनों की ओर से अभी आंदोलन चलाया जा रहा है इनमें से एक किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के वर्कर भी उस ग्रुप में शामिल थे, जिन्होंने लाल किले पर झंडा फहराया। आरोप था कि 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस पर मुकरबा चौक के पास लगाए गए बैरिकेड के नजदीक यूट्यूब चैनल के माध्यम से किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (पंजाब) के नेताओं ने ट्रैक्टर परेड में शामिल लोगों को लाल किले में जाने की अपील की थी। इंटेलिजेंस विभाग के अधिकारी कहते हैं कि शंभू बैरियर पर सभी किसानों को कर्ज में माफी दिलाने की मांग पर लाया गया है। अधिकारी का कहना है कि केंद्र सरकार इस मांग को पूरा करने में दिलचस्पी तो दिखा रही है लेकिन उसमें सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसका लाभ छोटे किसानों को नहीं हो रहा क्योंकि छोटे किसानों ने कर्ज बैंकों के बजाय आढ़तियों से लिए हुए हैं जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। यानी अगर बैंकों की ओर से दिए गए कर्ज की माफी दी जाती है तो इसका लाभ केवल बड़े किसानों या बैंकों को ही होगा।

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