रविवार, 5 नवंबर 2023

इस्लामिक देशों को भी आतंकवादी संगठनों का विरोध करना चाहिए-अशोक बालियान

मुजफ्फरनगर । इस्लामिक देशों को भी आतंकवादी संगठनों का विरोध करना चाहिए-अशोक बालियान, चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन

    हमें अपनी अमेरिका यात्रा में अमेरिकन लेखक रॉबर्ट स्पेंसर की पुस्तक ‘जिहाद का इतिहास’ पढने का अवसर मिला।इसी बीच खबर मिली कि इजरायल में हमास के आतंकवादियों द्वारा निरीह, निहत्थे इजरायली नागरिकों पर आक्रमण एवं मासूम बच्चों का कत्लेआम किया गया है। हमास के आतंकी खुद ही कह रहे थे कि उन्होंने यहूदियों को बर्बरता से मारा है।   

     लिहाजा अब यदि इजरायल हमास को सबक सिखाने के लिए उद्यत है,तो इस्लामिक देशों को तकलीफ क्यों? भारत विगत 4 दशकों से आतंकवाद की विभीषिका झेल रहा है।इजराइल पर हमास के हमले से भारतीय नेतृत्व को भी और अधिक सतर्क रहने जरूरत है। 


     अमेरिकन लेखक रॉबर्ट स्पेंसर की पुस्तक ‘जिहाद का इतिहास’ के अनुसार हिंदुओं का अपने धर्म के प्रति विश्वास ही उसकी संस्कृति को बचा सकता है।अमेरिकन लेखक रॉबर्ट स्पेंसर के अनुसार दुनिया के किसी भी देश में मुसलमानों को इस्लाम अपनाने से नहीं रोका जाता है। उन्हें अन्य देशवासियों की तरह सारे अधिकार प्राप्त होते है, लेकिन इस्लामिक देश में आपको उनकी तरह सभी अधिकार प्राप्त नहीं होते है और अवसर मिलते ही वे आपके देश में भी अपने इस्लामिक धार्मिक कानून स्थापित करने की सोच रखते है।

    दुनिया के कुछ समहू के बीच भी यह माना जाता है कि इस्लाम एक मौलिक रूप से शांतिपूर्ण धर्म है और इस्लामिक जिहाद आतंकवाद अपेक्षाकृत नया है, जो बीसवीं सदी के आर्थिक और राजनीतिक उत्साह का एक उत्पाद है।लेकिन ‘जिहाद के इतिहास’ की अपनी पुस्तक में अमेरिकन लेखक रॉबर्ट स्पेंसर ने निश्चित रूप से साबित किया है कि इस्लामी आतंक उतना ही पुराना है जितना इस्लाम है। रॉबर्ट स्पेंसर ने बाकी दुनिया के खिलाफ इस्लामी जिहादियों के 1,400 साल के युद्ध का तेजी से वर्णन किया है, जिसमें यूरोप के खिलाफ जिहाद का भी विवरण दिया गया है, जिसमें स्पेन ने जिहादी आक्रमणकारियों को देश से बाहर निकालने के लिए अगले 700 वर्षों तक लड़ाई लड़ी थी।

      रॉबर्ट स्पेंसर ने इस पुस्तक में वर्णन किया है कि भारत के विरुद्ध भी जिहाद में जिहादी आक्रमणकारियों ने अपने धर्म के नाम पर बड़े पैमाने पर जबरन हिदुओं का धर्मांतरण किया था। और भारत में भी जिहाद का इतिहास दर्शाता है कि जिहाद युद्ध शुरू से ही इस्लाम का एक सिद्धांत रहा है, और वर्तमान जिहाद आतंकवाद बिल्कुल उसी धार्मिक विचारधारा के साथ आगे बढ़ता है,जैसा कि अतीत के जिहादी आक्रमणकारियों ने किया था।

     रॉबर्ट स्पेंसर ने इस पुस्तक में वर्णन किया है कि आज इस्लाम के नाम पर पूरी दुनिया में जिस तरह से मानवता की हत्या की जा रही है, और जिस तरह से मौन रहकर मुस्लिम बिरादरी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उसे सपोर्ट कर रही है, उसने दुनिया के छोटे ही सही, लेकिन बौद्धिकों के एक वर्ग को हिला रखा हुआ है। भारत के टुकड़े करने की मंशा वालों को पोलिटिकल-मीडिया का सपोर्ट मिल रहा है, मुस्लिम द्वारा गला काटने पर चुप्पी और सीट के झगड़े को लिचिंग बताकर हिंदुओं को बदनाम करने का प्रयास, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, एजाज खान जैसों की भाषा दर्शा रही है कि मुसलमान वोट बैंक से ब्लैकमेलिंग की ताकत खोने के कारण भारत में कुछ लोग अराजकता फ़ैलाने का कार्य कर रहे हैं।

   जिहाद के इतिहास पर रॉबर्ट स्पेंसर की पुस्तक को कुछ लोग 'इस्लामोफोबिक' करार दे रहे है, लेकिन यह एकमात्र महत्वपूर्ण सवाल से बच जाता है कि क्या किताब ऐतिहासिक रूप से सही है या नहीं? यदि ऐसा नहीं है, तो किसी को स्पेंसर द्वारा उद्धृत असाधारण मात्रा में सबूतों का खंडन करना होगा। लेकिन अगर यह ऐतिहासिक दृष्टि से सही है तो यह किताब जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही परेशान करने वाली भी है।

       नीदरलैंड में संसद सदस्य और डच पार्टी फॉर फ्रीडम (पीवीवी) के नेता के अनुसार रॉबर्ट स्पेंसर ने ‘जिहाद के इतिहास’ एक अमूल्य और बेहद जरूरी पुतक तैयार की है। क्या आप आज के इस्लाम के बारे में सच्चाई पढ़ना चाहते हैं? इस किताब को पढ़ें। यह उन लाखों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के भयानक भाग्य को दर्शाता है, जिनका 7वीं शताब्दी से लेकर आज तक जिहाद के द्वारा नरसंहार किया गया है या उन्हें गुलाम बना लिया गया था। यदि हम सतर्क नहीं रहे, तो यह एक ऐसा भाग्य है जो हम सभी का इंतजार कर रहा है।

     द जेनेसिस ऑफ ए मिलिट्री सिस्टम के लेखक के अनुसार ‘जिहाद के इतिहास’ पर रॉबर्ट स्पेंसर की पुस्तक में तथ्यात्मक दस्तावेज प्रस्तुत किये है कि कैसे इस्लाम की ओर से आक्रामक युद्ध, चौदह शताब्दियों से और अब भी इस्लामिक जिहाद जीवन को अस्त-व्यस्त कर रहा है। उन्हें उम्मीद है कि उनका अध्ययन जिहाद के संभावित पीड़ितों को जागृत करेगा, लेकिन क्या वे-क्या हम-उनकी चेतावनी सुनेंगे?

      भारत में आतंकवादियों को ट्रेनिंग देकर भेजने वाले पाकिस्तान में आए दिन आतंकी हमले होते हैं। कभी मस्जिद में, कभी स्कूलों में तो कभी बाजारों में, या तो आत्मघाती हमले होते हैं, तो कभी आईईडी ब्लास्ट में दर्जनों लोगों की जान चली जाती है।

  भारत का आम मुस्लिम हमेशा आंतकवाद के विरुद्ध रहा है।लेकिन उसे विश्व में इस्लाम की ग़लत परिभाषा के आधार पर बनी आतंकवाद की विचारधारा को भी समझना होगा।हमास ने महिलाओं व बच्चों पर अत्याचार किया था। इज़राइल हमास के विरुद्ध मिल्ट्री कार्यवाही कर रहा है, इसमें आम नागरिक के जान व माल का नुक़सान होता है।यह दुखद होता है, लेकिन आतंकवाद के विरुद्ध कार्यवाही में इसको बचाना असंभव होता है।

   रॉबर्ट स्पेंसर ने इस पुस्तक में जिहादी आक्रमणकारियों के इतिहास के बारे में तथ्यात्मक जानकारी दी है।यह पुस्तक इक्कीसवीं सदी की भू-राजनीतिक स्थिति को समझने और अंततः इस्लाम में सुधार और कट्टरपंथी आतंक को हराने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए अपरिहार्य है। यह दुनिया सह अस्तित्व से ही बचेगी।इसलिए इस्लामिक देशों को भी आतंकवादी संगठनों का विरोध करना चाहिए

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