मुजफ्फरनगर । शहर के बंद सिनेमाघरों पर अब कॉम्प्लेक्स बनाए जा सकेंगे। सरकार ने पिछले काफी समय बंद पड़े सिनेमाघरों में बिजनेस कॉम्प्लेक्स, पार्किग व अन्य इस्तेमाल के लिए राहत प्रदान की है। शहर के आठ सिनेमाघर पिछले कई सालों से बंद पड़े है। जिनका किसी भी कोई प्रयोग नहीं हो रहा है। अब सरकार के राहत प्रदान करने पर सिनेमा हाल मालिकों में उम्मीद जगी है। अनुमति लेने के बाद बंद पड़े सिनेमाघरों पर फिर से कामकाज शुरू होगा। चौबीस घंटे टीवी और सोशल मीडिया के चलन के बाद सिनेमाघरों पर काफी प्रभाव पड़ा है। जिस कारण शहर के अधिकांश सिनेमाघरों पर ताले लटके हुए है। वर्तमान में मात्र ग्रांड प्लाजा मॉल आईलेक्स, माया मल्टीप्लेक्स व चंद्रा टॉकीज ही संचालित हो रहे हैं।
शहर के मिलन टॉकिज, अलंकार सिनेमा, रायल टॉकिज ,संदीप टॉकिज, अंजुमन पैलेस, नावल्टी टॉकिज, कम सिनेमा बंद हो चुके है। सभी सिनेमाघर शहर की प्रा. लोकेशन पर स्थित है, लेकिन सभी पर ताले लटके हुए है। इसका सबसे मुख्य कारण सोशल मीडिया का चलन बंद सिनेमाघरों को अन्य किसी प्रयोग भी नहीं लिया गया है। अब शासन से बंद सिनेमाघरों पर कॉम्प्लेक्स बनाने की राहत दी गयी है। जिससे सिनेमाघरों के मालिकों में राजमी है।
प्रदेश में बड़े-बड़े मॉल आने की वजह से सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल खत्म हो रहे हैं। इसकी मुख्य वजह माल्टीप्लेक्स और मॉल में लोग फिल्म देखना अधिक पसंद कर रहे हैं। आवास विभाग वर्ष 2017 में सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल को मल्टी प्लेक्स में बदलने की नीति लेकर आया था, जिसकी अवधि 31 मार्च 2020 तक थी। कोरोना काल के चलते बंद सिनेमा हाल मालिक इसका अधिक फायदा नहीं ले की है। पाए। उच्च स्तर से निर्देश मिलने के बाद आवास विभाग ने इस दिशा में नए सिरे से कवायद शुरू हो गई है।
राज्य कर विभाग से बकाया और अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। मास्टर प्लान में तय भू उपयोग के आधार पर मल्टी स्टोरी कॉम्प्लेक्स बनाने की अनुमति दी जाएगी। एनओसी लेने के बाद पुराने सिनेमा हॉल को तोड़कर परिसर बनाने की अनुमति मिलेगी। विकास प्राधिकरण मास्टर प्लान के आधार पर निर्माण की अनुमति देंगे। वर्तमान में 148 सिनेमा हॉल बंदी की कगार पर और 800 चल रहे बंद।सचिव आवास की अध्यक्षता में कमेटी की बैठक में कई जरूरी सुझाव आए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सुझाव बंद छोटे सिनेमा हाल के मालिकों को जमीन पर व्यवसायिक इस्तेमाल की अनुमति दी जाए। सूत्रों का कहना है कि इस पर मंथन चल रहा है। कमेटी ने यह सुझाव दिया है कि इसके एवज में ऐसे सिनेमा हाल मालिकों से लेवी के रूप में कोई शुल्क ले लिया जाए। इससे विकास प्राधिकरणों की आय बढ़ेगी और छोटे सिनेमा हाल मालिक अपनी जमीन का सदुपयोग कर पाएंगे।
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