मुजफ्फरनगर । आईपीपीटीए 30 और 31 अक्टूबर को क्षेत्रीय सेमिनार का आयोजन कर रहा है। सेमिनार का विषय बेहतर उपज और गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए बरामद कागज का कुशल संग्रह और प्रसंस्करण है। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि पेपर उद्योग पर्यावरण प्रदूषण कर रहा है।
कार्यक्रम चेयरमैन पंकज अग्रवाल, संगठन उपाध्यक्ष पवन खेतान और महासचिव एमके गोयल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत और विदेशों के प्रख्यात प्रौद्योगिकीविद्, इंजीनियर, मशीनरी आपूर्तिकर्ता और अनुसंधान संस्थान इसमें पेपर प्रस्तुत करेंगे और एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को कागज से बदलने की दिशा में हुई प्रगति और आने वाली बाधाओं आदि से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।
सेमिनार में दुनिया भर से पेपर टेक्नोलॉजिस्ट, इंजीनियर, वैज्ञानिक और प्रशासकों सहित 450 से अधिक टेक्नोक्रेट भाग लेंगे। इसका उद्घाटन राजेश्वर प्रसाद बंसल सीएमडी मारुति पेपर मिल्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय कागज उद्योग पिछले कई दशकों से अस्तित्व में है। आज पूरे देश में 850 से अधिक पेपर मिलें कार्यरत हैं। ये पेपर मिलें। विभिन्न प्रकार के कागजों का निर्माण करती हैं जैसे मुद्रण और लेखन, पैकेजिंग, ऊतक, अखबारी कागज, आदि। कुल कागज उत्पादन अनुमानतः 25 मिलियन टन प्रति वर्ष है।
उद्योग का वार्षिक कारोबार 80,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है और राजकोष में योगदान लगभग 8000 करोड़ रुपये है। यह उद्योग लगभग 0.5 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष और लगभग 1.5 मिलियन लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है।
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