स्वर्णकार (सुनार) समाज के वंशजों की धरोहर सुनार धर्मशाला पर दबंगों और भूमाफिया का कब्जा।
धर्मशाला को बन्धन मुक्त कराने के लिए स्वर्णकार समाज हुआ लामबंद्ध
मुज़फ्फरनगर । मुज़फ्फरनगर पिछले 22 वर्षो से भगत सिंह रोड स्थित सुनार धर्मशाला पर हुए कब्जे को चर्चित दबंग से मुक्त कराने को लेकर स्वर्णकार समाज हुआ एक जुट , स्वर्णकार समाज के सैंकड़ो व्यक्तियों द्धारा 3 माह पूर्व जिले के उच्च अधिकारीयो को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर धर्मशाला को कब्जा मुक्त कराने की की गयी थी मांग , पुलिस विभाग ने भी अपनी जाँच आख्या में धर्मशाला में रिसीवर नियुक्त किये जाने की की गयी थी संस्तुति, जिस पर नगर मजिस्ट्रेट मुज़फ्फरनगर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए धर्मशाला को कब्ज़ा मुक्त कराने को लेकर दबंगो के विरुद्ध की IPC की धारा 145 की कार्यवाही। बिना किसी रजिस्ट्रेशन के धर्मशाला पर अवैध रूप से काबिज यह दबंग पिछले 22 वर्षो से धर्मशाला से होने वाली प्रतिवर्ष की लाखो रूपये आय की रकम को डकार रहा है। स्वर्णकार समाज द्धारा जिला प्रसाशन मुज़फ्फरनगर और सहायक रजिस्ट्रार सोसायटी सहारनपुर को धर्मशाला से सम्बन्धित सभी साक्ष्य उपलब्ध कराये जा चुके है , स्वर्णकार समाज ने जिले के उच्च अधिकारियो से धर्मशाला में नई कमेटी का गठन कर स्वर्णकार समाज की सुपुर्दगी मे सौंपी जाये धर्मशाला जिससे सुनार समाज अपना कोई भी सामाजिक कार्यक्रम या धार्मिक अनुष्ठान , शादी , या अन्य कोई भी कार्यक्रम संपन्न कर सके। लेकिन जिला प्रसाशन पिछले चार महीनो से आज तक भी इस धर्मशाला को कब्ज़ा मुक्त नहीं पाया और न ही किसी रिसीवर की नियुक्ति धर्मशाला पर की गई है। जिला प्रसाशन की कार्यवाही न किये जाने से आहत स्वर्णकार समाज प्रतिनिधिमंडल अब सूबे के मुख्यमंत्री के दरबार में धर्मशाला को कब्ज़ा मुक्त कराने को लेकर लखनऊ प्रस्थान करेगा।
स्वर्णकार समाज के अध्यक्ष पवन कुमार वर्मा बताया की हमारे पूर्वजों द्धारा बीते कई दशक पूर्व अपनी मेहनत मजदूरी करके स्वर्णकार समाज के लिए उत्तर प्रदेश के जनपद मुज़फ्फरनगर में भगत सिंह रोड पर स्थित एक विशाल धर्मशाला का निर्माण इस उद्देश्य से कराया गया था, जिससे समाज के लोग अपने बच्चो की शादिया या अन्य कोई समारोह सम्पन्न कर सके, इस विशाल दो इमारती धर्मशाला मैं बाहर से आने वाले यात्रीयो/व्यापारियों के रात्रि विश्राम के लिए लगभग 14 कमरे और दर्जनों दुकाने , बड़ा बरांडा और एक बड़ा हाल भी है जिसमे 100 से 200 की संख्या मे समाज के लोग एकत्र होकर कोई भी कार्यक्रम सम्पन्न कर सकते है, धर्मशाला मैं दुकानों का निर्माण भी इस उद्देश्य से कराया गया था कि दुकानों व अन्य समारोह से प्राप्त किराया/दान से धर्मशाला को सुसज्जित व समय समय पर निर्माण कार्य और सुसज्जित कर धर्मशाला का विस्तार किया जा सके , इस धर्मशाला को बाकायदा समाज के बुजुर्गों द्धारा पूर्व में एक समिति बनाकर संचालित भी किया जा रहा था, लेकिन धर्मशाला की कमेटी मैं मुज़फ्फरनगर के एक चर्चित बिरला सिंह व उसके परिवार ने अपनी दबंगई के चलते कमेटी मैं बतौर सदस्यता लेकर इस कमेटी का संचालन स्वयं के हाथों मे ले लिया, इतना ही नही बिरला सिंह की मुट्ठमर्दि दबंगई के चलते कमेटी मैं विघटन की स्थिति बन गई और जो लोग इस सभा मे संरक्षक , पदाधिकारी या सदस्य थे अपनी जान माल का खतरा महसूस करते हुए समाज की धरोहर इस धर्मशाला से दूर हो गए थे और कुछ बुजुर्गो का निधन हो गया।
इस धर्मशाला पर पिछले 2 दशक से कटरा मोचियांन में स्थित चर्चित बिरला सिंह सर्राफ व उसके पुत्र उत्तम कुमार का एक छत्र राज चलता आ रहा है, समाज के किसी भी व्यक्ति की बेटी की शादी हो या फीर कोई अन्य जीवन मरण का कार्यक्रम , समाज को यह धर्मशाला उपलब्ध नही हो पाती, वर्तमान की स्थिति मैं उक्त धर्मशाला शराब का अड्डा ही नही बल्कि अय्याशी का अड्डा बनकर रह गई है, उक्त बिरला परिवार पिछले 2 दशक से धर्मशाला को सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के नियमानुसार न चलाकर खुद के नियम पर इस धर्मशाला का संचालन अपने निजी कार्यो के लिए कर रहा है, धर्मशाला के बाहर गेट पर नगरपालिका रोड पर रेहड़ा, ठेली , खोंचे वालो को स्थान देकर प्रति माह 15 से 20 हजार रुपये की प्रति एक से प्रतिमाह वसूली करता रहा है, इतना ही नही पिछले 2 दशक से धर्मशाला की दुकानों के किराए से होंने वाली आय, पार्किंग से आय या फीर धर्मशाला मैं बने कमरों मैं रहने वाले बाहरी मुसाफिरो से होने वाली मोटी आय धर्मशाला के जीर्णोद्धार या निर्माण में खर्च न करके खुद डकार रहे है, वर्तमान मे यह धर्मशाला बिना कमेटी के नियमाविरुद्ध अवैध रूप से उत्तम कुमार द्धारा संचालित की जा रही है, जो कि समाज हित में नही है ।
सोनार समाज के अध्यक्ष पवन कुमार ने बताया की शहर के भगत सिंह रोड पर स्थित धर्मशाला का सन 1997 में सहायक रजिस्ट्रार सोसायटी एंड चिट फंड सहारनपुर मंडल में श्री मैढ़ राजपूत (सुनार) सभा मुज़फ्फरनगर के नाम से पंजीकरण हुआ था। उस समय इस सभा की कार्यकारिणी में पदाधिकारियों और सदस्यों की कुल संख्या 15 थी , यह कार्यकारिणी का समयकाल सन 2002 तक वैध था। सन 2002 के बाद पिछली कार्यकारिणी में सदस्य पद पर आसीन चर्चित बिरला सिंह ने कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को दरकिनार कर धर्मशाला पर कब्ज़ा कर लिया , सदस्यों द्धारा विरोध किये जाने पर बिरला सिंह और उसके पुत्र उत्तम कुमार द्धारा दबंगई के चलते सदस्यों के साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया , जिसके चलते कार्यकारिणी के सदस्यों द्धारा अपनी जान माल की रक्षा करते हुए धर्मशाला से किनारा कर लिया गया। 1997-2002 तक वैध धर्मशाला की इस कार्यकारिणी की आज तक न ही कोई सामान्य बैठक , वार्षिक बैठक , चुनाव प्रकिर्या , कार्यकारिणी रजिस्टर ,अजेंडा रजिस्टर , आय व्यय विवरण का लेखा जोखा रखा गया , इतना ही नहीं सन 2002 के बाद सहायक रजिस्ट्रार सोसायटी सहारनपुर में उक्त सभा का कोई रजिस्ट्रेशन किसी भी सदस्य द्धारा कराया गया। संन 2002 के बाद से धर्मशाला में बिरला सिंह और उसके दबंगई पुत्र उत्तम कुमार का अवैध कब्ज़ा है ,
1997-2002 की कार्यकारिणी के कुल 15 सदस्यों में अभी तक 07 लोगो की मृत्यु हो चुकी है , कार्यकारिणी के शेष 06 सदस्यों धन प्रकाश पुत्र सकटू सिंह , राम गोपाल पुत्र सीताराम ,नीरज कुमार वर्मा पुत्र प्रेम प्रकाश , जगदीश प्रसाद पुत्र निहाल चंद्र , गोपाल कृष्ण पुत्र रमेश चंद्र , राम गोपाल पुत्र मलखान सिंह ,निवासीगण मुज़फ्फरनगर द्धारा एक राय होकर स्वर्णकार समाज के सैंकड़ो लोगो को एकत्र कर एक बैठक की गयी जिसमे एक कमेटी बनाकर बिरला सिंह और उसके पुत्र से धर्मशाला को कब्जा मुक्त कराने का बीड़ा उठाया गया। जिसके चलते कार्यकारिणी के जीवित सदस्यों द्धारा सहायक रजिस्ट्रार सोसायटी सहारनपुर जिलाधिकारी और नगर मजिस्ट्रेट को शिकायती प्रार्थना पत्र और शपथ पत्र में माध्यम से बिरला सिंह और उसके पुत्र उत्तम कुमार से धर्मशाला को शीघ्र कब्ज़ा मुक्त कराकर रिसीवर नियुक्त किये जाने की माँग की गयी थी। जिलाधिकारी द्धारा यह मामला नगर मजिस्ट्रेट मुज़फ्फरनगर को जाँच के लिए सौंपा गया था, नगर मजिस्ट्रेट ने पुलिस जांच आख्या बाद इस मामले में IPC की धारा 145 की कार्यवाही की गयी , दोनों पक्षों को नगर मजिस्ट्रेट न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने के लिए नोटिस तामील भी कराये गए , स्वर्णकार समाज द्धारा न्यायालय में अनेक बार सभी साक्ष्य और आपत्ति प्रस्तुत की जा चुकी है , वंही बिरला सिंह व उसके पुत्र उत्तम कुमार द्धारा आज तक भी धर्मशाला से सम्बन्धित कोई ऐसा साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह साबित होगा की बिरला सिंह का कब्ज़ा वैध है।
पिछले 06 महीनो से स्वर्णकार समाज द्धारा लगातार जिले के उच्च अधिकारियो से स्वर्णकार समाज की धर्मशाला को बिरला सिंह व उसके पुत्र उत्तम कुमार से कब्जा मुक्त करा धर्मशाला में रिसीवर नियुक्त किये जाने की मांग कर चुका है, साथ ही पूर्व कार्यकारिणी के जीवित सदस्यों द्धारा सहायक रजिस्ट्रार सोसायटी सहारनपुर कार्यालय में भी आपत्ति शपथ पत्र प्रेषित कर , बिरला सिंह द्धारा 22 वर्ष बाद नवीनीकरण किये जाने की अनुमति पर आपत्ति दर्ज कराई जा चुकी है , रजिस्टर कार्यालय सहारनपुर द्धारा भी समाज को गयी सत्यापित प्रतिलिपि स्पष्ट कहा गया है की पिछले 21 वर्षो से इस सभा का कोई नवीनीकरण नहीं कराया गया है। बिरला सिंह और उसके पुत्र उत्तम कुमार द्धारा एक राय होकर स्वर्णकार समाज की धरोहर धर्मशाला को सराय में तब्दील कर दिया गया। उक्त प्रकरण के सभी साक्ष्य नगर मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रस्तुत किये जा चुके है लेकिन आज तक भी नगर मजिस्ट्रेट द्धारा न धर्मशाला को कब्ज़ा मुक्त कराया गया, और न ही धर्मशाला में रिसीवर की नियुक्ति की गयी है। जिला प्रसाशन की कार्यप्रणाली से यह तो साबित हो गया है की जिला प्रसाशन भूमाफिया के प्रभाव में कार्य कर रहा है , जिला प्रसाशन की कार्यवाही से आक्रोशित स्वर्णकार समाज का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही सूबे के मुख्यमंत्री से समाज की धर्मशाला को कब्जा मुक्त कराने के लिए लखनऊ रवाना होगा।
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