बुधवार, 13 सितंबर 2023

DHRM KARM: पितृ पक्ष का आरंभ कब होगा, क्या करें


इस साल पितृ पक्ष का आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है और 14 अक्टूबर तक पितृ पक्ष चलेगा। पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से अश्विन मास तक चलता है। सर्व पितृ पर्व अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से पितृ पक्ष का शुभारंभ हो जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष की अवधि में पूर्वज स्वर्गलोक से मृत्युलोक पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने आते हैं। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान और स्नान-दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही इस अवधि में इन कर्मों को करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

पितृ पक्ष 2023 

पंचांग के अनुसार, अश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर 2023, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। इसी दिन से पितृ पक्ष का शुभारंभ हो जाएगा। बता दें कि पितृ पक्ष का समापन अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन हो जाता है, जो 14 अक्टूबर 2023, शनिवार के दिन पड़ रहा है। बता दें कि विक्रम संवत 2080 में पितृ पक्ष की शुरुआत 15 दिन देरी से हो अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के कारण हो रही है।

पितृ पक्ष 2023 की तिथियां

29 सितंबर 2023, शुक्रवार: पूर्णिमा श्राद्ध

30 सितंबर 2023, शनिवार: द्वितीया श्राद्ध

01 अक्टूबर 2023, रविवार: तृतीया श्राद्ध

02 अक्टूबर 2023, सोमवार: चतुर्थी श्राद्ध

03 अक्टूबर 2023, मंगलवार: पंचमी श्राद्ध

04 अक्टूबर 2023, बुधवार: षष्ठी श्राद्ध

05 अक्टूबर 2023, गुरुवार: सप्तमी श्राद्ध

06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: अष्टमी श्राद्ध

07 अक्टूबर 2023, शनिवार: नवमी श्राद्ध

08 अक्टूबर 2023, रविवार: दशमी श्राद्ध

09 अक्टूबर 2023, सोमवार: एकादशी श्राद्ध

11 अक्टूबर 2023, बुधवार: द्वादशी श्राद्ध

12 अक्टूबर 2023, गुरुवार: त्रयोदशी श्राद्ध

13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: चतुर्दशी श्राद्ध

14 अक्टूबर 2023, शनिवार: सर्व पितृ अमावस्या


पितृ पक्ष में करें ये उपाय

शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में स्नान-दान और तर्पण इत्यादि का विशेष महत्व है। इस अवधि में किसी ज्ञानी द्वारा ही श्राद्ध कर्म या पिंडदान इत्यादि करवाना चाहिए। साथ ही किसी ब्राहमण को या जरूरतमंद को अन्न, धन या वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पितृ पक्ष पूर्वजों की मृत्यु के तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म या पिंडदान किया जाता है। किसी व्यक्ति को यदि अपने पूर्वजों की मृत्यु का तिथि याद नहीं है तो वह अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन यह कर्म कर सकते हैं। ऐसा करने से भी पूर्ण फल प्राप्त होता है। पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए। तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें और गलतियों के लिए क्षमा मांगें। इससे परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। 

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