पहले अंग्रेजी में हमारे देश को हिंदुस्तान के स्थान पर हिन्दुफ्तान लिखा जाता था -अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
इतिहास के अध्ययन से अपने अतीत के बारे में अनेकों जानकारी मिलती है इतिहास मनुष्य के व्यापक सामाजिक अनुभवों को वर्तमान पीढ़ी के साथ साझा करता है। प्राचीन काल में मिस्र और कई सभ्यताओं के लोग रेखाचित्रों के जरिए ही अपने विचार जाहिर करते थे। सिंधू घाटी सभ्यता में भी जो भाषा पाई गई, वो भी आमतौर पर यही थी।
अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि (लैटिन लिपि) में लिखी जाती है। रोमन लिपि, लिखने की वह विधि है, जिसमें अंग्रेज़ी भाषा को मिलाकर यूरोप की लगभग सभी भाषाएँ जर्मन, फ्रेंच, स्पैनिश, इतालवी, डच, स्वीडिश, पुर्तग़ाली आदि लिखी जाती हैं। अंग्रेजी भाषा का लगभग हर जगह लिखित प्रकार समान ही रहता है।
जब रोमन साम्राज्य विश्व स्तर पर कुछ हिस्सों पर शासन कर रहा था, तो उन्होंने लैटिन से प्राप्त रोमन वर्णमाला को जोड़ा गया था, क्योकि वहां U, V और W अक्षर नहीं थे। ग्रीक वर्णमाला के आधार पर अंग्रेजी की वर्णमाला का विकास हुआ। पहले अंग्रेजी की वर्णमाला में 22 अक्षर होते थे। उस समय K, J, V और W अक्षर नहीं थे। मध्यकाल (सन 1100-1500) में K अक्षर विकसित हुआ था और कड़ी आवाज के उच्चारण वाले अक्षर के लिए C अक्षर के स्थान पर K अक्षर का प्रयोग शुरू हुआ। अर्थात पहले कीन (KEEN) को CEEN लिखा जाता था और बाद में KEEN लिखा जाने लगा था।
इसी प्रकार अंग्रेजी भाषा में पहले V अक्षर नहीं था और V अक्षर के स्थान पर U अक्षर का प्रयोग होता था अठाहरवी शताब्दी से पहले V अक्षर विकसित हुआ और परन्तु इसका प्रयोग इसका प्रयोग अठाहरवी शताब्दी में शुरू हुआ।15वीं शताब्दी U और V को अलग कर दिया गया था, क्योकि V व्यंजन है और U स्वर है। इसी तरह 16वीं शताब्दी तक अक्षर J एक अलग अक्षर के रूप में मौजूद नहीं था। और J अक्षर के स्थान पर I अक्षर का प्रयोग होता था। अंग्रेजी में एक अलग अक्षर के रूप में J अक्षर का उपयोग 17वीं शताब्दी में शुरू हुआ था।
इसी तरह पहले अंग्रेजी वर्णमाला में W अक्षर नहीं था और W अक्षर के स्थान पर दो VV अक्षर का प्रयोग होता था और कुछ जगह W अक्षर के स्थान पर दो UU का प्रयोग भी होता था। इस प्रकार इन चार अक्षरों के बढने के बाद अंग्रेजी वर्णमाला में कुल 26 अक्षर हो गये थे। कुछ अक्षर होते हुए भी चलन में नहीं थे, जैसे पहले अंग्रेजी में HINDUSTAN के स्थान पर HINDUFTAN लिखा जाता था अर्थात S के स्थान पर F लिखा जाता था।
सन 1475 में टाइपोग्राफी का युग शुरू होता है और इसी साल अग्रणी प्रिंटर विलियम कैक्सटन ने अंग्रेजी में पहली पुस्तक किंग जेम्स बाइबिल टाइप की थी। इसके बाद अंग्रेज़ी भाषा का पहला शब्दकोश 15 अप्रैल 1755 को प्रकाशित हुआ था और इसके लेखक "सैमुअल जॉनसन" थे।
भारत का नाम अंग्रेजी उपयोग (फ्रेंच प्रभाव में) के लिए 5वीं शताब्दी से 12वी शताब्दी तक यंदे (Ynde) या इन्डे (inde) था। और 17 वीं शताब्दी के बाद से अंग्रेजी उपयोग के लिए इन्डिया (India) लिखना शुरू हुआ था। 16 वीं शताब्दी के आरंभ में हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग अरबी व ईरानी पर्शियन लोगों ने शुरू किया था।
आज के युग में लोगो द्वारा मोबाइल फोन से एस एम एस (SMS) करने और इंटरनेट से चिट्ठी लिखने में अँगरेजी भाषा की रोमन लिपि का इस्तेमाल हिन्दी लिखने में किया जा रहा है। भारत में लोग अंग्रेजी अक्षर वाले की-बोर्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं और ज्यादातर रोमन लिपि में हिन्दी लिख रहे हैं, जिसमें शब्दों का उच्चारण तो हिन्दी का होता है लेकिन वह लिखी रोमन की वर्णमाला में जाती है।
देवनागरी लिपि का विकास प्रायः ब्राह्मी लिपि से माना जाता है। अधिकांश विद्वानों के अनुसार ब्राह्मी लिपि का अविष्कार आर्यों ने किया था। ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, वही लिपि कहलाती है। लिपि और भाषा दो अलग अलग चीज़ें होती हैं। भाषा वो चीज़ होती है जो बोली जाती है और लिखी भी जाती है। लिपि भाषा का लिखित रूप है। दुनिया में बहुत सारी लिपि प्रचलन में है, इसलिए एक भाषा को अलग-अलग लिपि में लिखा जा सकता है।
अंग्रेजी या इंग्लिश को लिखने के लिए हम A,B,C,D आदि वर्णों या चिन्हो का प्रयोग करते है। इन वर्णों या चिन्हों को ही लिपि कहा जाता है। इसी प्रकार हिंदी लिखने के लिए अ, आ, ई, व उ आदि वर्णों या चिन्हो का प्रयोग करते है। हिंदी वर्णमाला में ड़ और ढ़ दोनों अक्षर नहीं आते है, लेकिन इनका इस्तेमाल हम भरपूर होते देख रहे हैं। हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण (अक्षर) होते हैं।
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