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*(पित्र ऋण क्या है?)*
*पितृ ऋण को माता पिता का ऋण माना जाता है। इस वजह से इसे पूर्वजों का ऋण माना जाता है। ये व्यक्ति पर तब चढ़ता है जब वह बड़े बुजुर्गों का अनादर किया जाता है या फिर उनकी देखभाल नहीं की जाती है। दरअसल जिस तरह माता-पिता हमें जन्म देते हैं, हमें प्यार देते हैं, बड़ा करते हैं, हमारी हर इच्छा को पूरा करते है। इस तरह हमें भी उनके कर्ज को चुकाने के लिए उनकी देखभाल करना जरूरी होती है।*
*अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो फिर जातकों पर पितृ ऋण चढ़ता है। हालांकि यह कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति की वजह से भी प्रभाव को निर्धारित करता है। वैसे तो मनुष्य को जीवन में 5 तरह के ऋण चुकाना होते हैं लेकिन पिता का ऋण सबसे ज्यादा जरुरी माना जाता है। इस ऋण को उतारने के लिए संतान उत्पति करनी चाहिए। इसके अलावा पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध कर के भी इस ऋण से मुक्ति पाई जा सकती है*
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*🍬होते हैं 5 तरह के ऋण- माता का ऋण, पिता का ऋण, गुरु का ऋण, धरती का ऋण. धर्म का ऋण*🍬
*माता का ऋण चुकाने के लिये कन्या दान करना चाहिए।*
*पिता का ऋण चुकाने के लिए संतान उत्पति करनी चाहिए।*
*गुरु का ऋण चुकाने के लिए लोगों को शिक्षित करना चाहिए ।*
*धरती का ऋण चुकाने के लिए कृषि करना चाहिए या पेड़ लगाना चाहिए।*
*धर्म का ऋण चुकाने के लिए धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहिए।*
*(👉पितृ ऋण के उपाय)*👈
(साधारण अवस्था मे)
*इस दोष से छुटकारा पाने के लिए घर के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें।*
*इसके अलावा पीपल और बरगद के वृक्ष में नियमित रूप से जल चढ़ाते रहना चाहिए।*
*कर्पूर जलाने से देवदोष और पितृदोष से छुटकारा पाया जा सकता है।*
*कौए, चिढ़िया, कुत्ते और गाय को रोजाना रोटी दाना खिलाना चाहिए। इससे भी दोष से छुटकारा मिलता है।*
*जब पित्र दोष गम्भीर अवस्था मे आ जाता है तो उसका उपाय अगली पोस्ट में
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