सोमवार, 11 सितंबर 2023

किसानों की फसल बीमा अनिवार्य करने की मांग


मुजफ्फरनगर । प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना को पुन: स्वैच्छिक से अनिवार्य करने की मांग किसान नेता अशोक बालियान ने की है। 

पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान ने राष्ट्रीय प्रवक्ता अंकित बालियान के माध्यम से एक पत्र माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, माननीय कृषि मंत्री,भारत सरकार श्री नरेंद्र सिंह तोमर व माननीय पशुपालन राज्य मंत्री, भारत सरकार डॉ संजीव बालियान को एक पत्र भेजते हुये कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा ऋण लेने वाले किसानों के लिए पुन: स्वैच्छिक से अनिवार्य किया जाये और किसान को इकाई मानते हुए किसानों द्वारा भुगतान किये जानेवाले प्रीमियम की दरें कम की जाये तथा दो एकड़ तक के किसान के लिए प्रीमियम दर शून्य की जानी चाहिए।

      पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान ने पीजेंट की मीटिंग में कहा है कि देश के कुछ कथित किसान संगठनों की यह लंबे समय से मांग थी कि किसान क्रेडिट कार्ड के द्वारा ऋण लेने वाले किसानों के लिए फसल बीमा अनिवार्य नहीं होना चाहिए। इन किसान संगठनों की मांग पर केंद्र सरकार वर्ष 2020 में इसे बदलकर सभी किसानों के लिए वैकल्पिक बना दिया था। जबकि किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा ऋण लेने वाले छोटे-सीमांत किसान के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अनिवार्य होने के कारण वरदान की तरह थी। दरअसल, ऐसे किसान के पास ज्यादा पूंजी नहीं होती है। ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं का कारण नुकसान के चलते किसानों को फसल पर मुआवजा मिल जाता था, वे भारी आर्थिक नुकसान ने बच जाते थे। 

     इन कथित किसान संगठनों ने ही किसान हित के कृषि कानून काले कानून बताकर उन्हें वापिस कराने का कार्य किया था और अब ये किसान संगठन बरसात में फसल के नुकसान होने पर मुआवजा की मांग कर रहे है, जबकि पहले जो फसल बीमा योजना अनिवार्य थी, उसका विरोध कर उसे स्वैच्छिक बनवा दिया था। अब फसल बीमा योजना स्वैच्छिक होने के कारण किसान अपनी फसलों का बीमा कराने में रूचि नहीं रखते है। पहले ये किसान संगठन कहते थे कि गन्ने की फसल में कोई नुकसान नहीं होता है, अब गन्ने की फसल बरसात के कारण व कुछ जगह रोग लगने के ख़त्म हो गयी है, तो बोलते है कि नुकसान का मुआवजा दो। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन का मानना है कि इन किसान संगठनों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार की मांग करनी चाहिए थी, न कि उसे स्वैच्छिक बनाने की मांग।         

     किसानों द्वारा सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2 प्रतिशत एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत का एक समान प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम 5 प्रतिशत है। किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमित राशि का दावा मिलता है। अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगानेवाले पट्टेदार/ जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिए पात्र होते हैं। गैर ऋणी किसानों को राज्य में प्रचलित के भूमि रिकार्ड अधिकार (आरओआर), भूमि कब्जा प्रमाण पत्र (एलपीसी) आदि आवश्यक दस्तावेजी प्रस्तुत करना आवश्यक होता हैं। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा अनुमति अधिसूचित लागू अनुबंध, समझौते के विवरण आदि अन्य संबंधित दस्तावेजों भी देने आवश्यक होते हैं। 

      अनाज, दलहन और तिलहन सहित खाद्यान्न और वार्षिक बागवानी और वाणिज्यिक फसलें है। खरीफ मौसम में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, उड़द, मूंग, मूंगफली, तिल, सोयाबीन व अरहर जैसी फसल का बीमा कराके प्राकृतिक आपदा की वजह से फसल के नुकसान के आर्थिक बोझ को कम कर सकते हैं। इसी तरह रबी की सभी मुख्य फसलों का बीमा कराकर सुरक्षित हो सकते है। 

     पीजेंट का सुझाव है कि एक पत्र भारत सरकार को लिखा जाए कि किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा ऋण लेने वाले छोटे-सीमांत किसान के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अनिवार्य की जाये और किसान को इकाई मानते हुए किसानों द्वारा भुगतान किये जानेवाले प्रीमियम की दरें कम भी होनी चाहिए। तथा दो एकड़ तक के किसान के लिए प्रीमियम दर शून्य होनी चाहिए। 

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