मंगलवार, 8 अगस्त 2023

चाकलेट ना खा जाए घेवर, बर्फी, लड्डू और रसगुल्ले


मुजफ्फरनगर । त्योहारों और खुशी के मौके पर मुंह मीठा कराने के लिए मजेदार घेवर और गुजिया के बजाय चॉकलेट के टुकड़े से मुंह ​मीठा कराना बाजार वाद की नयी देन है। रसगुल्ले, पेड़े, लड्डू, बर्फी, इमरती, कब दोयम दर्जे में शुमार हो गए, उन्हें भी नहीं पता। सावन का तोहफा घेवर मुंह छिपा रहा है। 

पिछले कुछ वर्षों में चॉकलेट मिठाई का विकल्प बनती हुई नजर आ रही है। लोग मिठाई के विकल्प के तौर पर चॉकलेट को पसंद कर रहे हैं।  ये अपने आप नहीं हो रहा है इसके पीछे चॉकलेट बनाने वाली कंपनियों का शातिर दिमाग है। चॉकलेट इंडस्ट्री बड़ी चालाकी से त्योहारों से पहले भारतीय मिठाइयों पर हमला करती है। इंडस्ट्री द्वारा अरबों के विज्ञापन से यह साबित किया जाता है कि मिठाई का मतलब चॉकलेट है। चॉकलेट के प्रचार प्रसार में मीडिया भी बड़ी भूमिका निभाता है। बड़ी कंपनियों के शातिर दिमाग के चलते सदियों से चला आ रहा मिठाई का कारोबार प्रभावित हो रहा है। यही होता रहा तो कहीं  यह भारतीय पाक कला लुप्त न हो जाए। जहां भारतीय मीठाई खाने से सेरोटोनिन नाम के हार्मोन का लेवल बढ़ता है, जिससे खाने के बाद खुशी का एहसास होता है। इसके बहुत सारे फायदे भी हैं :

1.प्राकृतिक रूप से मीठे उत्पाद अधिक फायदेमंद होते हैं...

2.एक त्वरित ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है...

3.मिठाइयाँ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं..

4.मिठाइयाँ भी वजन नियंत्रण में तेजी ला सकती हैं...

5.मिठाइयाँ डाइटिंग के नकारात्मक पहलुओं को भी दूर करती हैं...

6.मिठाइयाँ स्ट्रोक से सुरक्षा देती हैं...

7.मिठाईयां आपको संतुलित आहार देती हैं।

8.कुछ मिठाइयों में प्राकृतिक फलों का स्वाद शामिल होता है..

    हमारी स्थानीय मिठाई इतनी तरह की है हर उम्र और हर तरह के स्वाद के साथ साथ शरीर के लिए फायदेमंद होती है । जैसे  पेठा, बेसन के लड्डू, गाजर का हलवा, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, जलेबी, कलाकंद, खोपरा पाक, खीर, नानखटाई और 100 तरह के पेडे। काजू कतरी, रसमलाई, सोहन हलवा, बूंदी, बरफी, 50 तरह के श्रीखंड, पूरण पोली, आम रस, दु धि हलवा, गोल पापड़ी, मोहन थाल, सक्कर पारा, तिलगुड़ के लड्डू। 

 मुम्बई आइस हलवा, चीकू बर्फी, चूरमा लड्डू, घेबर, घुघरा, हलवा खजूर पाक, मगज पाक, रेवडी.......जैसी हज़ारों शुद्ध मीठी चीजें जिस देश के लोग बनाना, खाना और खरीदना भी जानते हों।  जब कि मेडिकल शोध में चाकलेट को शरीर के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक बताया गया है और खासकर बच्चों के लिए। अत्यधिक मात्रा में चॉकलेट का सेवन, बच्चों को शारीरिक और मानसिक तौर पर कई तरह की गंभीर परेशानी में डाल सकता है. ज्यादा चॉकलेट खाने से बच्चे मोटापे, सीने में जलन, स‍िर दर्द सहित अन्य तमाम तरह की परेशानियों का शिकार हो सकते हैं. न सिर्फ इतना, बल्कि चॉकलेट से थायराइड और डायबिटीज जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है.

अब अगर आप डाइट पर हैं तो निराश न हों, क्योंकि ऐसे कई तरीके हैं जिनके माध्यम से आप बिना कोई अतिरिक्त वजन बढ़ाए या अपने शरीर के आकार को बिगाड़े बिना मिठाई खाने के लाभों का आनंद ले सकते हैं। अपने मूड और शरीर को ऊर्जावान बनाने के लिए त्योहारों या खास अवसरों के दौरान या हर सप्ताह एक बार कुछ मिठाइयों का सेवन सीमित मात्रा में करें। लेकिन याद रखें, तमाम फायदों के बावजूद, आपको अपने मीठे उपभोग पर भी नियंत्रण रखना होगा; अन्यथा यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।

 "बौद्धिक पतन" : उस देश में चॉकलेट देकर "कुछ मीठा हो जाये" कह के लाखो की चॉकलेट करोड़ों मे बेच के विदेशी कम्पनियों हमारा करोड़ों रुपया आसानी से लूट लेती है। ये दर्शाता है कि.....हमारा कितना बौद्धिक पतन हो गया है। 

कुछ दिनों बाद रक्षाबंधन आ रहा है ध्यान रहे हमारे स्थानीय हलवाई, मिष्ठान विक्रेता इस चॉकलेटी आक्रमण से बचे यही भावना है...

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