गुरुवार, 3 अगस्त 2023

नूह में हैवानियत के बीच दिखाई दिया इंसानी चेहरा


नूंह। दंगों की आग में झुलसते मेवात में हैवानियत के बीच इन्सानियत का भी रूप देखने को मिला। 

 तावड़ू के जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग में एसडीओ पद पर तैनात मुस्लिम अधिकारी आबिद हुसैन ने दंगाइयों के बीच फंस चुके करीब पचास लोगों की जान बचाई। सोमवार को ब्रजमंडल यात्रा में उनकी ड्यूटी लगाई गई थी। इसी दौरान दोनों पक्षों के आमने-सामने होने से दंगा भड़क गया। पथराव के बीच बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग फंस गए। उन्हें घेर कई युवक पथराव करने लगे तो आबिद दौड़ कर पहुंचे और लोगों को रोका और बीच में खड़े हो गए। आबिद ने कहा इनके ऊपर पत्थर चलाने से पहले मेरी जान ले लो। उग्र भीड़ में शामिल कई लोग आबिद को पहचानते थे। जिसके चलते पत्थर नहीं चलाए। जब तक अतिरिक्त पुलिस बल नहीं आया तब तक लोगों के लिए ढाल बने खड़े रहे। उन्होंने दंगाइयों की पहचान कराने में भी पुलिस की मदद की। पुलिस ने रेस्क्यू कर सभी लोगों सुरक्षित जिले की सीमा से बाहर पहुंचाया। एक मुस्लिम अधिकारी द्वारा शोभा यात्रियों की सुरक्षा की बात सामने आने से दोनों ही समुदायों में इनकी जमकर प्रशंसा की जा रही है।

दूसरी ओर हरियाणा के नूंह जिले में हुए सांप्रदायिक दंगे की आग में एक महिला जज भी फंस गई थीं। इस दौरान दंगाइयों की भीड़ ने उनकी कार को जला डाला। किसी तरह महिला जज ने खुद की और अपनी तीन साल की बच्ची की जान बचाई। हिंसा के दौरान वह दिल्ली-अलवर रोड पर बनी एक पुरानी वर्कशॉप में जाकर छिपी थीं। जज के साथ उनके गनर, ड्राइवर भी मौजूद थे। इसके बाद भी उन्हें किसी तरह भीड़ से बचकर भागना पड़ा। पुलिस में दर्ज एक एफआईआर से इस घटना का खुलासा हुआ है।

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