मुजफ्फरनगर । 10 मोहर्रम 1444 हिजरी
यौमे आशुरा को हजरत इमाम हुसैन अलै. व करबला के शहीदो की याद मे मातमी जुलूस निकाला गया। जुलूस में या हुसैन या हुसैन की सदाओं के साथ मातम करते हुए शिया सोगवार आगे बढ़े। अकीदत मंदो ने जंजीर मे बंधी छुरियों से मातम कर अपने आपको लहुलुहान कर लिया।
इमामबारगाह में मौलाना कौसर मज़हरी ने बयान किया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने मैदान ए करबला में अपनी और अपने जां निसारों की बेशुमार कुर्बानियां पेश कर अपने नाना के दीन को बचा लिया। उन्होने कहा कि इमाम हुसैन ने यजीद की बेयत न कर बता दिया कि हक के लिए शहादत भी दी जा सकती है।
उन्होंने हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी का पसे मंजर पेश किया। उसके बाद जुलूस आगे बढ़ गया। मौलाना की तकरीर के बाद जुलजुना (घोड़ा इमाम) बरामद हुआ। जुलूस शहर में इमामबारगाह अबुपुरा होते हुए नदीवाला, खादरवाला पर आया। दूसरा जुलूस मोती महल, गढीगोरवान, नियाजुपुरा, मिमलाना रोड़, मल्हु़पुरा, कटेहरा सैयादान होते हुए पुराने रास्ते से आगे बढ़ा।
पुलिस और प्रशासन ने व्यवस्था संभाली
इस बार काली नदी में पानी अधिक होने के कारण जुलूस कर्बला न मुझे जाकर शिव चौक होते हुए सादात हॉस्टल पर समाप्त हुआ। शिया सोगवार जंजीरों तथा कमा का मातम करते व नोहाख्वानी करते आगे बढ़े। नौहाख्वानी नजमुल हसनैन, नवेद अब्बास, साहिबे आलम, असकरी, मो. जमा, शबीह हैदर, अरशद, सलीम आदि ने की। पुलिस और प्रशासन ने व्यवस्था संभाली।
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