शुक्रवार, 2 जून 2023

मुजफ्फरनगर समेत ये लोकसभा सीटें भाजपा के लिए बनी सिरदर्द


नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव को लेकर लगातार तैयारियों में जुटी है। जिसको लेकर मोदी सरकार के 9 साल पूरा होने के तहत एक माह का विशेष महाअभियान भी चलाया जा रहा है। जिसके तहत पार्टी के सांसदों को भी अपने-अपने क्षेत्र में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी 9 साल की उपलब्धियों को बताने के निर्देश दिए गए हैं। जो 2019 के जीते सांसद हैं उनको वर्तमान कार्यकाल की उपलब्धियां बतानी है। कई जगह मोदी योगी की लहर में जीते सांसद उपलब्धियां बताने में पसीने-पसीने हो गए।

वहीं बीजेपी ने 2024 चुनाव से पहले आंतरिक सर्वे कराया है। जिसमें भाजपा की जीती हुई कई सीटें रेड जोन में है, जिसके बाद सांसदों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जो इन सीटों पर जीतकर सदन पहुंचे हैं। देश में चाहे 2014 का चुनाव हो रहा हो या फिर 2019 लोकसभा चुनाव प्रदेश के कई सांसद मोदी और योगी की लहर में चुनाव तो जीत गए। लेकिन अब उनकी सीट पर संकट के बादल छाए हैं। बीजेपी 2024 के लिए एक-एक सीट को लेकर रणनीति बना रही है, ऐसे में जीती हुई कई सीटें आंतरिक सर्वे में रेड जोन में आई है। जिसके बाद बीजेपी नए सिरे से रणनीति बनाने में जुटी है। कहते हैं केंद्र का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है इसलिए उत्तर प्रदेश पर बीजेपी का खास फोकस भी है और सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें भी उत्तर प्रदेश से हैं। यहीं वजह है कि बीजेपी 2024 के लिए यूपी में फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, संभल, रामपुर, नगीना, बिजनौर, बदायूं, फिरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी सीटें ऐसी हैं जो बीजेपी की चिंता का विषय बनी हुई है। जो आंतरिक सर्वे में बीजेपी के लिए सुरक्षित नहीं बताई गई है। ऐसे में पार्टी नए सिरे से रणनीति बना रही है, कोशिश है कि इन सीटों पर बेहतर ढंग से परफॉर्मेंस की जाए। मुजफ्फरनगर लोकसभा जीतने के बाद इसके तहत आने वाली खतौली सरधना मीरापुर चरथावल और बुढाना विधानसभा सीटों पर भाजपा हार चुकी है। केवल मुजफ्फरनगर सीट उसके पास है। 

वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश की आजमगढ़, घोसी, लालगंज, गाजीपुर, जौनपुर, श्रावस्ती और अंबेडकरनगर की सीटें भी ऐसी है जो बीजेपी की चिंता को और बढ़ा रही हैं। इन सीटों पर कैसे बेहतर परफॉर्म किया जाए, इसको लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है। जिसमें बहुत ज्यादा उम्मीद है कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भी बीजेपी पूर्वी यूपी में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए साथ ले सकती है। हालांकि ओमप्रकाश राजभर भी लगातार बीजेपी के लिए लगाओ दिखाते रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में मोदी लहर में उत्तर प्रदेश की कई ऐसी सीटें जीती थी। जो 2019 में वह नहीं जीत सकी उन सीटों को लेकर भी बीजेपी मंथन कर रही है और कोशिश कर रही है कि 2014 की जीती सीटें 2024 में फिर से प्राप्त की जाए। जिसको लेकर भी रणनीति बनाई जा रही है। जिसमें मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अंबेडकरनगर, नगीना, गाजीपुर, घोसी और लालगंज सीटें ऐसी हैं जो 2014 में तो पार्टी ने जीती लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर हार मिली थी।

बीजेपी ने 2019 में हारी आजमगढ़ और रामपुर सीट जिसमें आजमगढ़ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सीट थी तो वहीं रामपुर सपा के बड़े नेता आजम खान की सीट थी। दोनों सीटें जीत तो ली लेकिन उन दोनों सीटों को भी आंतरिक सर्वे में रेड जोन में रखा गया है। ऐसे में भाजपा की कोशिश यहीं है कि 2014 की परफॉर्मेंस को आधार बनाकर 2024 के मैदान में उतर आ जाए।

बीजेपी के आंतरिक सर्वे में कई चीजों पर मंथन किया है। जिसमें सांसदों की स्वीकार्यता, क्षेत्र में लोकप्रियता और उनके द्वारा कराए गए काम भी शामिल हैं, साथ ही क्षेत्रीय लोग कितना संतुष्ट हैं। यह भी देखा गया है निश्चित तौर पर जो सीटें रेड जोन में है उनके सांसदों के टिकट को लेकर भी लगातार मंथन चल रहा है।हालांकि भारतीय जनता पार्टी हमेशा अप्रत्याशित निर्णय लेने के लिए जानी जाती है। इसलिए ऐसे सांसदों की मुश्किलें बढ़ गई हैं जो इन सीटों से आते हैं जिन सीटों पर बीजेपी सर्वे में रेड जोन में दिखाई दे रही है उन सीटों के सांसदों के टिकट भी कट सकते हैं।

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