नई दिल्ली । दिल्ली-एनसीआर व मुजफ्फरनगर सहित उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के कई हिस्सों में मंगलवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। मुजफ्फरनगर में भूकंप के तेज झटकों के कारण कुछ सेकेंड तक धरती हिलती रही है। पंखे हवा में झूलते दिखाई दिए। लोग घरों से बाहर निकल आए। भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 6.6 मापी गई। कुछ लोग तो ऑफिस से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए। दिल्ली में भूकंप के झटकों के साथ यूपी के मुजफ्फरनगर, मेरठ, संभल, मुरादाबाद, अमरोहा और रामपुर में रात 10.19 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए।अचानक से धरती डोलने की वजह से लोग घरों से बाहर निकल आए। शाहजहांपुर में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं। इसी के साथ बरेली में भी भूकंप के हल्के झटके आये हैं। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में रहा। भूकंप से जानमाल के नुकसान की खबर तो अभी नहीं है, लेकिन दिल्ली में शकरपुर इलाके में एक इमारत के झुकने की सूचना है।
भारत के अलावा, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान और चीन में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। सीस्मोलॉजी विभाग के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान से 90 किमी दूर कालाफगन में था।
भूकंप के झटके लगने से लोग घबराहट में घरों से बाहर निकल गए। भूकंप के झटके कई सेकेंड तक महसूस किए गए। राजस्थान में मंगलवार रात करीब साढ़े दस बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। जयपुर सहित तमाम शहरों में लोग घरों से बाहर भागे। एक-दूसरे को फोन कर भूकंप आने की जानकारी दी।
बीकानेर, जोधपुर, अलवर, गंगानगर, अजमेर, झुंझुनूं आदि शहरों में भूकम्प के झटके महसूस होते ही लोग घर से बाहर की ओर दौड़े। अपने नाते-रिश्तेदारों को फोन करके इसकी जानकारी भी दी, ताकि सभी सुरक्षित अपने घरों से बाहर आ जाएं।
भारत भी यूरोप की तरफ खिसक रहा है
2022 में ऑस्ट्रेलिया के भूवैज्ञानिकों ने धरती पर मौजूद सभी टैक्टोनिक प्लेटों का एक नया नक्शा तैयार किया था। इसमें बताया गया था कि इंडियन प्लेट और ऑस्ट्रेलियन प्लेट के बीच माइक्रोप्लेट को नक्शे में शामिल किया गया है। साथ ही कहा गया था कि भारत यूरोप की तरफ खिसक रहा है।
इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इन दो प्लेटों के टकराव से हिमालय सहित उत्तरी हिस्सों में भीषण भूकंप आ सकता है। ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड में डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेस के लेक्चरर डॉ. डेरिक हैस्टरॉक और उनके साथियों ने मिलकर ये नक्शा तैयार किया है।
डॉ. डेरिक ने कहा है कि हमारा नक्शा पिछले 20 लाख सालों में धरती पर आए 90 फीसदी भूकंपों और 80% ज्वालामुखी विस्फोटों की पूरी कहानी बताता है। वहीं वर्तमान मॉडल सिर्फ 65% भूकंपों की जानकारी देता है। इस नक्शे की मदद से लोग प्राकृतिक आपदाओं की गणना कर सकते हैं।
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