शनिवार, 18 मार्च 2023

4 घंटे में बिजली कर्मी काम पर नहीं लौटे तो दर्ज होंगे मुकदमे : ऊर्जा मंत्री


 लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बिजली कर्मियों को 4 घंटे में काम पर लौटने की चेतावनी दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 4 घंटे में बिजली कर्मी काम पर नहीं लौटे तो उनके विरुद्ध मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी की जाएगी।

हड़ताल के चलते आम जनता को हो रही परेशानियों से खफा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज ऊर्जा मंत्री और पावर कारपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलायी थी जिसमे सख्त रुख अपनाने का फैसला लिया गया ।

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि आज शाम 6:00 बजे तक हड़ताल पर गए बिजली कर्मियों को लौटने की समय सीमा दी गई है, वापस नहीं लौटने पर उनकी बर्खास्तगी की जाएगी। 

उन्होंने कहा कि जो बिजली कर्मी हड़ताल से वापस नहीं लौटेंगे, उनके खिलाफ तत्काल मुकदमे दर्ज करा कर उनकी गिरफ्तारी कराई जाएगी।

उन्होंने बताया कि अभी तक 22 कर्मियों के खिलाफ एफआईआर करा दी गई है, 1332 संविदा कर्मियों की सेवा बर्खास्त कर दी गई है, जबकि 6 लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार हड़ताली कर्मियों से वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन उन्हें तत्काल अपनी हड़ताल समाप्त करनी होगी।

इस बीच प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के चलते विद्युत उत्पादन गृहों में उत्पादन प्रभावित हुआ है जिसका सीधा असर प्रदेश के कई इलाकों में विद्युत आपूर्ति के साथ साथ जलापूर्ति पर भी पड़ा है।


सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा और रासुका के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी है वहीं उच्च न्यायालय ने भी हड़ताल को गैर जरूरी बताते हुये इसे अदालत की अवमानना करार दिया है। इसके बावजूद हड़ताली कर्मचारियों के रवैये में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। कर्मचारी नेताओं की दलील है कि वे भी हड़ताल के पक्षधर नहीं है मगर ऊर्जा मंत्री पिछले साल दिसंबर में कर्मचारी नेताओं के साथ उनकी मांगों के संबंध में किये गये समझौते से मुकर रहे हैं। उन्होने इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है।


इस बीच ओबरा ताप विद्युत संयंत्र की 200-200 मेगावाट की पांच इकाइयों में उत्पादन बंद होने से विद्युत आपूर्ति के और जटिल होने की संभावना है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार ने प्रस्तावित ओबरा डी संयंत्र को राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के हवाले करने का फैसला किया है जो उन्हे कतई मंजूर नहीं है।


इससे पहले ओबरा सी की 660 मेगावाट की दो इकाइयों को निजी क्षेत्र के हवाले किया जा चुका है। सरकार की निजीकरण की नीति सही नहीं है। सरकार को हाल ही में लिये गये फैसले को वापस लेना चाहिये। पावर कारपोरेशन के इंजीनियर और कर्मचारी अपने उत्पादन संयंत्र को चलाने में पूरी तरह सक्षम है।


हड़ताली कर्मचारियों को हालांकि एस्मा का डर भी सता रहा है। कर्मचारियों का मानना है कि एस्मा के तहत कार्रवाई होने का असर उनके करियर पर पड़ेगा। उन्हे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से परिस्थितियां जल्द ही काबू में होंगी।


बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के चलते कई जिलों के विद्युत उपकेन्द्रों पर आमतौर पर सन्नाटा पसरा है। बिजली के बिल भुगतान काउंटर बंद होने से उपभोक्ता मायूस होकर वापस जा रहे है जबकि स्थानीय गड़बड़ियों को दुरूस्त करने के लिये चंद गैंगमैन उपलब्ध हैं। विद्युत आपूर्ति प्रभावित होने से कई इलाकों में पेयजल आपूर्ति भी लड़खड़ा गयी है। उधर, कई जिलों में हल्की बारिश और ओलावृष्टि से हुये फाल्ट जस के तस पड़े हैं। हड़ताल से विरत कर्मचारी और इंजीनियर इन्हे दूर करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं।

विद्युत उत्पादन को नियंत्रित करने के लिये एनटीपीसी के इंजीनियरों के अलावा निजी क्षेत्र के तकनीकी स्टाफ की भी मदद ली जा रही है। इस बीच सरकार ने हड़ताली संविदा कर्मचारियों को कार्यमुक्त करने की कार्यवाही शुरू कर दी है।





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