मुजफ्फरनगर। नगर के वरिष्ठ परामर्श फिजिशियन एवं चेस्ट स्पेशलिस्ट डा. एम.एल.गर्ग ने जानकारी देते हुए बताया कि सर्दी के मौसम में दिल के मरीज एवं फेफडों के मरीज अत्याधिक हो जाते है। उसके लिए सावधानियों की आवश्यकता होती है। दिल के मरीजों के लिए दिल की बीमारी में जैसे कोरोनरी आर्टीडिजीज (सीएडी) या कार्डियल इस्चिमिया या उच्च रक्तचाप होती है। सर्दी का मौसम इन बीमारियांे के लिए एक उत्पे्ररक का कार्य करता है और हार्टअटैक हो जाता है यहां तक की मृत्यु भी हो सकती है। अतः सर्दी के मौसम में जब तापमान कम हो जाता है दिल के मरीजों को विशेष सावधानियांे की आवश्यकता होती है क्योंकि सर्दी में कम तापमान आपके दिल को नुकसान इसलिए पहुंचाता है कि शरीर की रक्तवाहिनियां संकुचित हो जाती है। जिससे रक्तचाप/बीपी बढ़ जाता है और दिल को संकुचित रक्त वाहिनियों में खून पहंुचाने में दिल को अधिक कार्य करना पडता है जिससे दिल की धडकन बढ़ जाती है। अतः यदि दिल की बीमारी नहीं है तो आपको समस्या होने के अवसर कम है लेकिन यदि आपको दिल की बीमारी या उच्च रक्तचाप हो तो आपको हार्ट अर्टक हो सकता है।
सावधानियांः दिल के मरीज को सर्दी के मौसम में घरों से कम से कम निकले। यदि निकलते है तो ऊनी कपड़े पहने, सिर पर टोपी पहने हाथों में दस्ताने पैरों में ऊनी जुराब जूते पहने। खुले में व्यायाम न करे। ऊनी कपडे पहनकर व्यायाम न करे यदि ऊनी कपडे पहनकर व्यायाम करोगे तो शरीर गर्म होकर रक्त वाहिनीयां चैडी हो जायेगी और यदि आपको दिल की बीमारी है तो व्यक्ति का रक्तचाप कम हो जायेगा। दिल के मरीज यदि सर्दी के मौसम में अचानक पसीना आये तो यह खतरे की निशानी है और तुरन्त अपने डाक्टर से सम्पर्क करे। सर्दी के मौसम में फ्लू होने का खतरा होने पर अपने चिकित्सक से सम्पर्क करे। शराब पीकर घर से बाहर न निकले। व्यक्ति शराब पीने से रक्त वाहिकाएं चैड़ी हो जाती है इससे त्वचा के अन्दर ज्यादा रक्त प्रवाह होने लगता है और त्वचा गर्म हो जाती है। जिससे शरीर में गर्मी का अहसास होता है। एलकोहल के सेवन से रक्तवाहिनियों में अन्दरूनी अंग से रक्त आता है अतः अन्दरूनी अंग ठंडे पडने लगते है जिससे दिल का दौरा पडने का खतरा बढ़ जाता है।
सर्दी के फेफडों (श्वास रोगी) के मरीजों के लिए सावधानियांः-
सर्दी के मौसम में हमे अपने फेफडों की बीमारियों से बचने के लिए ठंडे मौसम/ठंडी हवा से बचना चाहिए, जिसके लिए निम्नलिखित सावधानियां जरूरी है-मास्क/स्कार्फ पहने पूरी बाजू की कमीज पहने, ऊनी कपडे जैसे-स्वेटर, ऊनी जुराब, सिर पर ऊनी टोपी, हाथों में ऊनी दस्ताने पहने व जूते पहने। नाक के द्वारा सांस ले न कि मुंह से। क्योकि नाक से सास लेने में हवा को फेफडों तक पहुंचने में अतिरिक्त समय लगता है जिससे ठंडी हवा गर्म होकर फेफडों तक पहुंचती है। ठंड हमारे शरीर की इम्युनिटी कम करती है जिससे सर्दी, जुकाम, ब्रोन्काइटिस निमोनिया होने के अवसर ज्यादा होते है। इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए ताजे फल सब्जियां, बादाम, किशकिश आदि का सेवन करे। गर्म पानी 6-10 गिलास अवश्य पीए। भांप लेते रहे। ठंडे पेय पदार्थ बिल्कुल न ले। तनाव से अपने आप को दूर रखे। बाहर खुले में व्यायाम न करे। सर्दियों में स्मोग होता है जिससे श्वास रोगियों की समस्याएं इसलिए बढ़ जाती है कि डस्ट पार्टिकल्स 2.5 माईक्रोन से कम होते है जो श्वास नलियां में पहुंचकर एलर्जी करते है। बोन फायर से निकलने वाला धुआं श्वास रोगियों को नुकसान पहुंचाता है। श्वास रोगी एवं दिल के रोगी अपनी दवाईयां चिकित्सक की सलाह से नियमित रूप से लेते रहे एवं अपने पास तीव्र गति से कार्य करने वाली दवाईयां अपने पास अवश्य रखे। यदि शरीर में अचानक कोई बदलाव आये तो अपने चिकित्सक से तुरन्त सम्पर्क करे। भीड भाड के इलाके से दूर रहे एवं बीमार व्यक्ति के सम्पर्क से बचे।
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