सोमवार, 19 दिसंबर 2022

कृषि केंद्रित एजेंडा तैयार करने के लिए जुटी यह संस्था


मुजफ्फरनगर । कंसोर्टियम ऑफ़ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन (सिफ़ा) कर्नाटका की ओर से दिनांक 19-20 दिसम्बर 2022 को बंगलौर में आगामी दस वर्षों के लिए कृषि केंद्रित एजेंडा तैयार करने के लिए हुई है। जिसमें पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान व भाकियू (अ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, सिफ़ा के अध्यक्ष श्री रघुनाथ दादा पाटिल, कन्वेनर श्री शंकर नारायण रेड्डी व मुख्य सलाहकार श्री पी चेंगल रेड्डी, शमशेर सिंह दहिया सहित देशभर के किसान नेताओं ने भाग लिया और कृषि केंद्रित एजेंडा पर विचार रखे।

 पीजेंट के चेयरमैन ने कहा कि सभी मुख्य फसलों, मुख्य फल-सब्जी, दूध व शहद आदि को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाया जाना चाहिए। व बाजार हस्तक्षेप योजना को प्रभावी बनाया जाये। औसत बाजार भाव और लक्षित भाव के बीच जो अंतर हो वो राशि; यानि बाजार में हानि का भुगतान (मार्केट लॉस पेमेंट) किसानों को डीबीडी के माध्यम से किया जाए।

        भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर भारतीय कृषि सेवा का एक केंद्रीय कैडर बनाया जाना चाहिए।

      कृषि को संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में शामिल किया जाये।

     किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसान को चार वर्ष तक केवल ब्याज जमा करने की सुविधा और पांचवे वर्ष में एक बार मूलधन व् ब्याज दोनों जमा करने की सुविधा दी जाये व किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की भी लिमिट को बढ़ाया जाए। किसान को इकाई मानते हुए किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ लेने वाले किसानों को फसल बीमा कार्यक्रम के तहत सब्सिडी में वृद्धि की जाए। 

      देश में प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की भूमिका बढ़ाई जाये व् एग्री एक्सपोर्ट सेंटर खोलने व् क्लस्टर सुविधा इकाई का जनपद स्तर पर गठन किया जाये।

      केंद्र सरकार ने जिस तरह आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 की उप धारा (2) के खंड (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, 2018 अधिसूचित कर चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय किया था, उसी तरह कोल्हुओं व् क्रेशरों पर बनने वाले उत्पाद गुड़-शक्कर व् खांडसारी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय किया जाये।

        भाकियू (अ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि भारत में कृषि क्षेत्र में सब्सिडी को डब्ल्यूटीओ मानकों के अनुकूल बढाया जाये। कृषि क्षेत्र में, यूरोपीय संघ और अमेरिका भारी मात्रा में सब्सिडी प्रदान करते हैं, लेकिन चतुराई से उन्हें उन मदों में दिखाते हैं, जो डब्ल्यूटीओ मानकों के अनुकूल हैं। तथा कृषि यंत्रीकरण योजना का बजट बढाया जाये, ताकि अधिक संख्या में किसानों को कृषि यंत्र सब्सिडी पर मिल सके।  

      ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के लिए कृषि आधारित उद्योग व लघु उद्योग की स्थापना के साथ इनके उत्पादों को संरक्षण दिया जाये अर्थात वे संरक्षित उत्पाद इन्ही उद्योगों में बने।

     संशोधन के साथ संविदा कृषि कानून लाने पर पुन: विचार किया जाए। क्योकि अनुबंधित खेती से हमारे कृषि परिदृश्य को व्यापक रूप से प्रोत्साहन प्राप्त हो सकता है।

     किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) योजना को प्रभावी व सरल बनाया जाये तथा एफपीओ के माध्यम से कृषि उपज बिक्री को पुरे देश में मंडी शुल्क से मुक्त किया जाये । क्योकि एफपीओ माडल अगली पीढ़ी और निवेश को आकर्षति करने में सक्षम होगा। और इससे उच्च मूल्य वाली फसलों में विविधता लाने की ताकत और साहस मिलेगा

 कृषि कारोबार से जुड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को किसान की फसल उपजाने, उसकी खरीद, सप्लाई चेन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग समेत कृषि की पूरी वैल्यू चेन में जोडा जाये।भारत के किसानों को भी अमेरिका और यूरोप की तर्ज़ पर सुनिश्चित मासिक आय उपलब्ध कराई जाए। व प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की धनराशी को कम से कम दोगुना बढाया जाए।उपरोक्त विषयों पर पीजेंट वेलफ़ेयर एसोशिएसन, भाकियू (अ) व सिफ़ा मिलकर कार्य कर रहे हैं। 

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