लखनऊ । महानिदेशक स्कूल शिक्षा के नियंत्रण में अब बेसिक शिक्षा के साथ ही माध्यमिक शिक्षा विभाग के भी सभी निदेशालय होंगे। मंत्रिपरिषद ने इस आशय के प्रस्ताव को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी है। हालांकि शासन स्तर पर दोनों विभाग अलग-अलग होंगे। इसके साथ ही मंत्रिपरिषद ने भविष्य में महानिदेशक, स्कूल शिक्षा (डीजीएसई) संबंधी पद सृजन, अधिकार व कर्तव्य आदि के निर्णय के संदर्भ में किसी प्रकार के तकनीकी संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत भी कर दिया है।
महानिदेशक स्कूल का पद वर्ष 2019 में बेसिक शिक्षा के अधीन निदेशालयों के अधिकारियों, कर्मियों पर नियंत्रण, योजनाओं के त्वरित संचालन और प्राथमिक शिक्षा में सुधार व शिक्षकों की दक्षता वृद्धि के लिए सृजित किया गया था। इसी पद के कार्य व दायित्व में अब माध्यमिक शिक्षा के सभी निदेशालय भी समाहित होंगे। अब महानिदेशक सभी निदेशकों के बीच समन्वयन का पर्यवेक्षण देखेंगे। बजट व अन्य वित्तीय कार्य उनकी निगरानी में होंगे। भर्तियों, तबादलों, सेवा संबंधी मामलों का निस्तारण कराएंगे। अध्यापकों के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार कराकर प्रशिक्षण कराएंगे। इससे विभिन्न निदेशालयों के बीच सकारात्मक व सार्थक समन्वय होगा। साथ ही दोनों विभागों के सभी संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
ये भी होगी जिम्मेदारी
- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संपादित सभी कार्यों को निदेशक के जरिए कराना और उसका पर्यवेक्षण व प्रशासनिक नियंत्रण करना।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की संकल्पना के अनुसार बोर्ड परीक्षाओं में सुधार करवाना व प्रभावी पर्यवेक्षण करना।
- संस्कृत शिक्षा परिषद् से संबंधित कार्यों को निदेशक के माध्यम से कराना और उसका पर्यवेक्षण।
- माध्यमिक निदेशालय के अधीन मंडलीय व जनपदीय अधिकारियों पर प्रशासनिक नियंत्रण।
- माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत मानव संपदा प्रणाली विकसित व लागू कराना और विभिन्न आंकड़ों के लिए एकीकृत पोर्टल विकसित कराना।
- निदेशक, माध्यमिक की वार्षिक गोपनीय आख्या के लिए प्रस्तावक अधिकारी होंगे।
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