नई दिल्ली। अब पराठा खाना है तो आपको 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ेगा, लेकिन सूखी चपाती पर पांच फीसदी ही टैक्स लगेगा।
देश में एक समान वस्तु व सेवा शुल्क जीएसटी (जीएसटी) प्रणाली लागू हुए इस साल जुलाई में पांच साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन जीएसटी के अमल व अधिसूचनाओं को लेकर आए दिन विवाद सामने आते रहते हैं। ऐसा ही मामला रोटी व पराठे पर अलग-अलग जीएसटी दरों का है।
यदि आप पराठा खाना चाहते हैं तो उस पर 18 फीसदी जीएसटी चुकाना पड़ेगा, वहीं रोटी खाना चाहते हैं तो 5 फीसदी। फ्रोजन रोटी-पराठे पर जीएसटी को लेकर पहले भी सवाल उठे हैं। इस उद्योग से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि दोनों को बनाने की मूल सामग्री चूंकि गेहूं का आटा है, इसलिए इस पर समान जीएसटी लागू होना चाहिए। वाडीलाल इंडस्ट्रीज का कहना था कि वह 8 तरह के पराठे बनाती है। इसमें मुख्यतः आटे का ही इस्तेमाल होता है। मालाबार पराठे में आटे की मात्रा 62 फीसदी और मिक्स्ड वेजिटेबल पराठे में 36 फीसदी होती है।
लेकिन गुजरात जीएसटी प्राधिकरण ने कहा कि रोटी रेडी टु ईट है, जबकि कंपनी का पराठा रेडी टू कूक है। कर प्राधिकारियों का साफ कहना है कि पराठा रोटी से पूरी तरह अलग है। रोटी या चपाती को आप बगैर मक्खन या घी लगाए भी खा सकते हैं, लेकिन पराठा इनके बगैर नहीं बनता, चूंकि घी चुपड़ी रोटी या पराठा एक तरह से विलासिता की श्रेणी में आते हैं, इसलिए इन पर 18 फीसदी की दर से कर वसूलना लाजमी है।
रोटी पराठे जैसा ही जीएसटी विवाद दूध और सुगंधित या फ्लेवर्ड दूध को लेकर भी है। गुजरात के जीएसटी प्राधिकारियों ने सुगंधित दूध पर 12 फीसदी जीएसटी को वैध माना है, जबकि दूध पर कोई कर नहीं लगता है। इसी तरह का मामला तमिलनाडु के जीएसटी प्रशासन के समक्ष आया। वहां जीएसटी प्रशासन ने रेडी टू कूक डोसा, इडली और दलिया मिक्स आदि पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया, लेकिन डोसा या इडली बनाने के तैयार घोल (बैटर) के तौर पर बेचने पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया। वहीं, गुजरात कर प्रशासन ने पुरी, पापड़ और बिना तले पापड़ पर 5 फीसदी जीएसटी थोपा, जबकि कर्नाटक में रवा इडली डोसा पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया गया।
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