अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विशेषज्ञों ने ब्लड ग्रुप और इसके आधार पर हृदय की बीमारियों के खतरे को जानने के लिए विस्तृत अध्ययन किया। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि ब्लड ग्रुप ओ की तुलना में टाइप ए, टाइप बी या टाइप एबी वाले लोगों में दिल का दौरा पड़ने या हार्ट फेलियर की आशंका अधिक हो सकती है।
इसी तरह से ब्लड ग्रुप ओ वाले पुरुषों की तुलना में ए और बी वालों में थ्रंबोसिस, डीप वेन थ्रंबोसिस जैसी रक्त वाहिकाओं की समस्या का भी जोखिम अधिक पाया गया है, जो आगे चलकर हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाने वाली हो सकती है। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक जिन लोगों का ब्लड ग्रुप 'ओ' होता है उनमें हृदय रोगों की समस्या सबसे कम देखी गई है। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि अन्य ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में संयुक्त रूप से ब्लड ग्रुप ए और बी वालों में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम 8 प्रतिशत जबकि हार्ट फेलियर का खतरा 10 फीसदी अधिक हो सकता है। इसके अलावा टाइप-ए और बी रक्त समूह वाले लोगों में डीप वेन थ्रंबोसिस विकसित होने की आशंका 51 प्रतिशत और पल्मोनरी इंबोलिज्म का जोखिम 47 प्रतिशत अधिक हो सकता है।
ब्लड ग्रुप और हार्ट की समस्याओं के संबंध के बारे में पेन मेडिसिन में हेमेटोलॉजिस्ट डॉ डगलस गुगेनहाइम कहते हैं, टाइप ए, टाइप बी या टाइप एबी ब्लड ग्रुप वालों के शरीर में इंफ्लामेशन का खतरा अधिक होता है, संभवत: यही कारण हृदय की समस्याओं को बढ़ाने वाली हो सकती है। टाइप-ए और टाइप-बी रक्त में मौजूद प्रोटीन नसों और धमनियों में अधिक ब्लॉकेज की आशंका बढ़ा देती हैं, जिससे थक्के बनने और हृदय रोग का खतरा अधिक हो सकता है।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के समय में भी देखा गया है कि अन्य रक्त समूह वालों की तुलना में ब्लड ग्रुप ओ वालों में संक्रमण और उसकी गंभीरत का जोखिम को पाया गया। अन्य ब्लड ग्रुप और इसके कारण होने वाले इंफ्लामेशन को इस अध्ययन का प्रमुख आधार माना जा सकता है। हालांकि यह सिद्धांत एक अनुमान मात्र है, यह सभी लोगों पर फिट बैठता हो ऐसा आवश्यक नहीं है। हां, इस अध्ययन के आधार पर अपने जोखिम कारको को समझते हुए हृदय रोगों से बचाव के उपाय जरूर किए जा सकते हैं।
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