रविवार, 23 जनवरी 2022

राजपाल सैनी के मुकाबले टिक पाएंगे विक्रम सैनी


मुजफ्फरनगर। जिले की खतौली विधान सभा सीट इस बार भाजपा के लिए कड़ी मुश्किल में पड़ गई है। स्थानीय प्रत्याशी को लेकर पहले ही पार्टी के अंदर और बाहर चल रही सुगबुगाहट के बाद अब उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती रालोद व समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार राजपाल सैनी खड़ी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि बसपा से मैदान में आए उम्मीदवार करतार सिंह भडाना और कांग्रेस के प्रत्याशी भी भाजपा के लिए मुसीबतें खड़ी करेंगे। 

इस बार खतौली विधानसभा सीट पर राजनीतिक समीकरण काफी अलग नजर आ रहे हैं। पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने यहां योगी मोदी की लहर में विक्रम सैनी को उम्मीदवार बनाया था। उस समय उम्मीदवार के बजाय पार्टी और योगी और मोदी का नाम देखकर स्थानीय मतदाता ने वोट किया और विक्रम सैनी विजयी रहे। इसके बाद इनका 5 साल का कार्यकाल काफी विवादों में भरा रहा है। अपने तमाम बयानों को लेकर चर्चा में रहे विक्रम सैनी को इस बार स्थानीय स्तर पर काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पहले चर्चा थी कि उनका टिकट बदला जाएगा लेकिन बाद पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार के रूप में फिर मैदान में उतार दिया। विक्रम सैनी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पिछले 5 साल के कार्यकाल में एंटी इनकंबेंसी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। दूसरे भाजपा का स्थानीय कार्यकर्ता भी उनके कारनामों से बहुत अधिक खुश नजर नहीं आ रहा है। दूसरी और विश्वास जातीय समीकरण भी काफी गड़बड़ा सकते हैं। इस बार उनसे बड़े कद्दावर सैनी नेता राजपाल सैनी खतौली से रालोद सपा गठबंधन के टिकट पर मैदान में आ गए हैं। विशेष बात यह है कि रालोद और सपा का गठबंधन होने के नाते इस बार जहां जाट और मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा बने मिलने वाला है वहीं उनको सैनी समाज में भी बड़ा समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा इन दोनों राजनीतिक दलों से जुड़े तमाम वर्गों के वोट राजपाल सैनी के पक्ष में जा सकते हैं। राजपाल सैनी जिले में एक बड़ा राजनीतिक नाम रहा है और काफी समय बाद एक बार फिर सक्रिय होकर खतौली क्षेत्र में अपना वजूद कायम करने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं। भाजपा के लिए निश्चित रूप से यह चिंता का विषय होने वाला है। दूसरी और बहुजन समाज पार्टी से करतार सिंह भड़ाना यहां मैदान में हैं। करतार सिंह भड़ाना बहुत ताकतवर बनेंगे इसके लिए अभी देखना बाकी है। अभी तो उन्हें बाहरी प्रत्याशी के रूप में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें बसपा  प्रत्याशी के रूप में दलित और सजातीय गुर्जर वोटों का सहारा है। यह अलग बात है कि कुछ दिनों पहले अटल बिहारी वाजपेई के जन्म दिवस का आयोजन कर रहे हैं करतार सिंह भडाना बसपा का टिकट मिलने के बाद अब बाबा साहब अंबेडकर के गुणगान लगे हुए हैं। असली बात यह है कि यहां मुस्लिम मतदाता उस प्रत्याशी को वोट देगा जो भाजपा को हराने की स्थिति में नजर आएगा ऐसे में राजपाल सैनी अभी उनसे भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। किसान आंदोलन में भी आगे रहे इस इलाके में गठबंधन अधिक उम्मीद बांध रहा है।

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