अभिषेक अहलूवालिया
मैनेजिंग डायरेक्टर
मुजफ्फरनगर । जिले की सदर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी एवं रालोद गठबंधन से प्रत्याशी बनाए गए स्वर्गीय चितरंजन स्वरूप के बेटे सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी को उम्मीदवार बनाकर एक बार फिर सपा ने चचा चितो की राजनीतिक विरासत पर दांव लगाया है। लेकिन घर की कलह के बीच यह दांव कितना कारगर होगा यह देखना बाकी है।
गौरव की जगह सौरभ स्वरूप को प्रत्याशी तो बना दिया गया है लेकिन स्व चितरंजन स्वरूप का पुत्र होने के अलावा उनकी कोई अपनी राजनीतिक पहचान या सामाजिक दायरा नहीं है। ना ही जनता के बीच पकड़ है। गत दिवस विभिन्न स्थानों पर उनके पुतले भी फूंके गए हैं। बात करें स्वर्गीय मंत्री चितरंजन स्वरूप की सामाजिक पकड़ के साथ साथ व्यवहारिक कुशलता के माहिर स्वर्गीय चितरंजन स्वरूप ने मुजफ्फरनगर की जनता का दिल जीता। उनकी मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे गौरव स्वरूप द्वारा उनकी विरासत को सामाजिकता एवं कुशल व्यवस्था के चलते आगे बढ़ाया गया। परंतु इसके विपरीत सौरव स्वरूप उर्फ बंटी आज तक किसी भी सामाजिक कार्य एवं समाज उत्थान के लिए आगे नहीं आए है। क्षेत्र में उनकी पहचान केवल स्वर्गीय मंत्री चितरंजन स्वरूप के बेटे के नाम मात्र की है। समाजवादी पार्टी एवं रालोद गठबंधन को शहर विधानसभा सीट से नया प्रयोग कितना कारगर साबित होगा यह नहीं कहा जा सकता। जनपद के सभी विधानसभाओं के प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद सदर विधानसभा सीट की सूची में लगातार पेंच फंसते नजर आ रहे थे। कल समाजवादी पार्टी एवं रालोद गठबंधन ने अंतिम मोहर लगाकर स्वर्गीय मंत्री चितरंजन स्वरूप के छोटे बेटे सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी को मुजफ्फरनगर की सदर विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया। प्रत्याशी की घोषणा होते ही सौरव स्वरूप के विरोध में लगातार पुतलों का दहन किया गया। जब गौरव की जगह सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी को प्रत्याशी घोषित किया गया तो यह आश्चर्यजनक था। ऐसे में सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी अपने पिता की चली आ रही व्यवहार कुशलता एवं सामाजिकता की विरासत को बचा पाएंगे इसमें संदेह है।
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