नई दिल्ली। ओमिक्रोन वायरस के कम खतरनाक होने के बावजूद इसके रोकथाम के लिए सरकार कवायद कर रही है। माना जा रहा है कि देश में प्रतिदन बीस लाख तक मामले आ सकते हैं।
ऐसे में क्या भारत में चल रहा टीकाकरण ओमिक्रोन पर प्रभावशाली है ? इन सारे प्रश्नों के जवाब यशोदा हास्पिटल के एमडी पीएन अरोड़ा का कहना है कि ओमिक्रोन वैरिएंट लंबे समय तक गले में ठहरता है। इसके चलते वह तेजी से फैलता है। इसलिए यह संक्रमण के मामले में डेल्टा वैरिएंट की तुलना में तीन गुना तेजी से फैलता है। उन्होंने कहा कि अगर हम सचेत नहीं रहे तो यह वायरस बहुत तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। इससे भले ही खतरा कम हो, लेकिन यह बहुत तेजी से फैलेगा। डा अरोड़ा ने कहा कि यह फेफड़ों में अपनी कापी बहुत तेजी से नहीं बना पाता इसलिए मरीज गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचता है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि वैरिएंट बहुत तेजी से फैलता है, लेकिन डेल्टा वैरिएंट की तरह शरीर को बहुत तेजी से छोड़ भी देता है।
डा. अरोड़ा ने कहा कि दूसरी लहर के पीक के दौरान भारत में हर रोज चार लाख के करीब नए मामले आ रहे थे। इनमें से करीब 25 हजार को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। माना जा रहा है कि ओमिक्रोन की वजह से रोजाना 16-20 लाख तक नए केसेज आ सकते हैं। इनमें से 40-60 हजार को अस्पताल में भर्ती करना होगा। 40-60 हजार लोगों को जब अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा तब स्थिति भयावह हो सकती है। सरकारी आंकड़ों में फिलहाल ओमिक्रोन के कम मामले आ रहे हैं, लेकिन संक्रमितों की संख्या बढ़ सकती है। चूंकि वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग करनी होती है और भारत में इसके लिए लैब कम हैं। इस वजह से जांच भी कम हो रही है और आंकड़े भी कम आ रहे हैं।
ओमिक्रोन इस बात की चेतावनी है कि यदि हम सतर्क नहीं हुए तो कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं होगा। इसलिए सरकार की गाइड लाइन को सख्ती से पालन करने की जरूरत है। अगर हम ओमिक्रोन को लेकर सावधान रहे तो एक स्थिति ऐसी आएगी, जब संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने या जान जाने के मामले बहुत कम हो जाएंगे और विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे महामारी की श्रेणी से बाहर कर देगा। अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि किस स्तर पर डब्ल्यूएचओ ऐसा फैसला करेगा। शुरुआती शोध बताते हैं कि मौजूदा टीके ओमिक्रोन के मामले में कम एंटीबाडी बना रहे हैं। इसलिए विज्ञानियों के समक्ष ज्यादा कारगर टीका विकसित करने की चुनौती है।
डायबिटीज, हाइपरटेंशन या टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज ओमीक्रान संक्रमण से उबरने में थोड़ा ज्यादा वक्त ले रहे हैं। डेल्टा वैरिएंट से हुई कोरोना महामारी को ठीक होने में सात से 10 दिन लगते थे। कुछ मरीजों को तो बीमारी से उबरने में और ज्यादा वक्त लग जाता था। कुछ डेल्टा मरीज तो दो महीने से भी ज्यादा वक्त में निगेटिव होते थे। आंकड़े बताते हैं कि ओमिक्रोन वैरिएंट के मामले में सप्ताहभर के अंदर 92 फीसद मरीजों के आरटी-पीसीएर टेस्ट निगेटिव आ रहे हैं। वहीं, पांच फीसद मरीज आठवें दिन, जबकि तीन फीसद मरीज 9वें दिन निगेटिव पाए जा रहे हैं। सिर्फ एक मरीज जिसे टीबी की बीमारी भी थी, वो लंबे समय तक पाजिटिव पाया गया।
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