गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

दिल्ली बार्डर से लौटेंगे किसान





नई दिल्ली। सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसान आज से घर वापसी क चुके हैं।14 महीनों से डटे किसानों ने आंदोलन की समाप्ति का ऐलान कर दिया है। 11 दिसंबर से सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत तमाम जगहों से किसान घर वापसी शुरू कर देंगे। इसके बाद 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को पहुंच जाएंगे। सरकार की ओर से मिले नए प्रस्ताव पर किसान संगठनों में सैद्धांतिक सहमति पहले बन गई थी, लेकिन गुरुवार दोपहर को इस पर लंबी चर्चा के बाद फैसला हुआ। इस मीटिंग में किसान संगठनों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे। सिंघु बॉर्डर का माहौल भी किसानों की वापसी का संकेत दे रहा है। यहां लोग टेंट हटाने लगे हैं और लंगर आदि का सामान गाड़ियों में रखा जाने लगा है।
 बुधवार की शाम को केंद्र सरकार की ओर से एमएसपी, मुआवजा और मुकदमा समेत कई मुद्दों पर किसानों की मांगें माने जाने के बाद यह स्थिति बनी है। किसान संगठनों की प्रतिनिधि संस्था संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार के नए प्रस्ताव पर राजी होने पर सहमति बनी है। इसके साथ ही 14 महीनों से चला आ रहा किसानों का आंदोलन अब समाप्त हो सकता है। तीन नए कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी, बिजली बिल समेत कई मांगों को मनवाने के बाद किसान यह वापसी कर रहे हैंकिसानों और सरकार के बीच ट्रिपल एम यानी मुकदमा, मुआवजा और एमएसपी को लेकर पेच फंसा हुआ था। एमएसपी के सरकार ने समिति के गठन की बात कही है। इसके अलावा हरियाणा सरकार ने मुआवजा अधिक देने की बात कही है, जिससे किसान राजी हो गए। मु्ख्य मसला मुकदमों का अटका था, जिसे लेकर सरकार ने तत्काल वापसी की बात कही है और अब किसान संगठन राजी हो गए हैं। मुआवजे को लेकर हरियाणा और यूपी सरकार की सैद्धांतिक सहमति से ही बात बन गई। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा सरकार आंदोलन के दौरान मृत किसानों के परिवार को ज्यादा मुआवजा देने के लिए तैयार है, लेकिन नौकरी के लिए नहीं। इस पर शुरुआती मतभेद के बाद हरियाणा के संगठन राजी हो गए हैं।एमएसपी कानून बनाने तक धरना जारी रखने की जिद करने वाले किसान नेताओं ने भी लचीला रुख दिखाया है, जिसके चलते बात बन गई। कमिटी में किसान प्रतिनिधियों के तौर पर केवल संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को ही शामिल कराने की शर्त किसान नेताओं ने छोड़ दी। सरकार के वार्ताकारों की तरफ से दलील दी गई थी कि बिना प्रधानमंत्री से आदेश लिए इस पर कोई प्रस्ताव नहीं दिया जा सकता क्योंकि कमिटी का ऐलान खुद पीएम ने किया है। पंजाब के ज्यादातर संगठन सरकार के पहले प्रस्ताव पर ही तैयार थे, दूसरे प्रस्ताव को हरियाणा के संगठनों ने स्वीकार कर लिया।किसान नेता योगेंद्र यादव ने टीवी चैनल एबीपी न्यूज से बातचीत में सरकार की सराहना करते हुए कहा कि दूसरे प्रस्ताव में सारी चिंताएं दूर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से तय हुआ कि सरकार का प्रस्ताव मंजूर है। विश्वास है कि सरकार सारी प्रक्रिया शुरू कर देगी। औपचारिक चिट्ठी आने के बाद हम धरना खत्म करने का ऐलान कर देंगे।

इस बीच राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार की ओर पक्के कागज आ जाएंगे तो फिर हम आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर देंगे। उन्होंने कहा कि हमारे पंच संतुष्ट हैं, तो हम भी राजी हैं। सभी धरनों के समापन के बाद गाजीपुर का धरना खत्म होगा। बदले तेवर के साथ टिकैत ने गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर कार्रवाई पर कहा कि सरकार की कोई मजबूरी होगी। हम मुद्दा उठाते रहेंगे। राकेश टिकैत ने फिर दोहराया कि राजनीति से वे दूर हैं और दूर ही रहेंगे।

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