रविवार, 14 नवंबर 2021

विश्वास-भक्ति-आनंद का प्रतीक -74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियों का शुभारंभ

 


     मुजफ्फरनगर। निरंकारी संत समागम विश्वभर के प्रभु- प्रेमियों के लिए खुशियों भरा अवसर होता है 

, जहां मानवता का अनुपम संगम देखने को मिलता है। निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागरूकता द्वारा संपूर्ण विश्व में सत्य, प्रेम एवं एकत्व के संदेश को प्रसारित कर रहा है जिसमें सभी अपनी जाति, धर्म, वर्ण, रंग, भाषा, वेशभूषा एवं खान-पान जैसी भिन्नताओं को भुलाकर, आपसी प्रेम एवं मिलवर्तन की भावना को धारण करते हैं।

    उपरोक्त जानकारी देते हुए सन्त निरंकारी मंडल के मीडिया सहायक सुशील कुमार अंश ने बताया कि 74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियां इस वर्ष वर्चुअल रूप में पूर्ण समर्पण भाव एवं सजगता के साथ की जा रही है, जिसमें संस्कृति एवं संप्रभुता की बहुरंगी छठा इस वर्ष भी वर्चुअल रूप में दर्शायी जाएगी। यह सभी तैयारियां सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड-19 के निर्देशों को ध्यान में रखकर ही की जा रही हैं। इस वर्ष के समागम की तिथियां 27, 28 एवं 29 नवंबर 2021 को निर्धारित की गई हैं। इस वर्ष के निरंकारी संत समागम का शीर्षक- 'विश्वास,भक्ति, आनंद' विषय पर आधारित है जिसमें विश्वभर से वक्ता, गीतकार एवं कविजन अपनी प्रेरक एवं भक्तिमय प्रस्तुति व्यक्त करेंगे। "विश्वास-भक्ति और आनंद" आध्यात्मिक जागृति का एक ऐसा अनुपम सूत्र है, जिस पर चलकर हम इस परमात्मा का न केवल साक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं अपितु इससे इकमिक भी हो सकते हैं। इस सूचना से समस्त साध-संगत में जहां हर्षोल्लास का वातावरण है, वही सभी भक्तों ने निरंकार प्रभु-परमात्मा की रजा में रहकर इसे सहज रूप में स्वीकार भी किया है। संपूर्ण समागम का सीधा प्रसारण (लाइव टेलीकास्ट) मिशन की वेबसाइट पर तथा साधना टीवी चैनल के माध्यम द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। मिशन के इतिहास में ऐसा प्रथम बार होने जा रहा है, जब वर्चुअल समागम का सीधा प्रसारण किया जा रहा हो। समागम के तीनों दिन सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज अपने पावन प्रवचनों द्वारा मानवमात्र को आशीर्वाद प्रदान करेंगे।

      जनपदीय संयोजक हरीश कुमार एवं मीडिया सहायक सुशील कुमार अंश ने बताया कि इस वर्ष का समागम पूर्णतः वर्चुअल रूप में आयोजित किया जा रहा है, किंतु इसे जीवंत स्वरूप देने के लिए मिशन द्वारा दिन-रात अथक प्रयास किए जा रहे हैं ताकि जब इसका प्रसारण किया जाए, तब इसकी अनुभूति प्रत्यक्ष समागम जैसी ही हो और सभी इसका आनंद प्राप्त कर सकें। यह सब सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के दिव्य मार्गदर्शन द्वारा ही संभव हो पाया है।

     जैसाकि सर्वविदित ही है कि मिशन का प्रथम निरंकारी संत समागम सन् 1948 में बाबा अवतार सिंह जी महाराज की दिव्य उपस्थिति में हुआ। यद्यपि संत निरंकारी मिशन का आरंभ बाबा बूटा सिंह जी के निर्देशन में हुआ, जिसे गुरमत का रूप देकर बाबा अवतार सिंह जी महाराज ने आगे बढ़ाया। निरंकारी संत समागम को व्यवस्थित, सुसज्जित तथा प्रफुल्लित करने का श्रेय युगप्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी को जाता है। तदुपरांत युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने न केवल समागम को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया अपितु 'एकत्व' के आधार पर "वसुधैव कुटुंबकम" और "दीवार रहित संसार" की सोच के साथ 'यूनिवर्सल ब्रदरहुड' की पहचान देकर, संसार को जाति,धर्म,वर्ग,वर्ण,भाषा और देश की विभिन्नताओं से ऊपर 'अनेकता में एकता' का दर्शन कराया। वात्सल्य एवं मातृत्व की साक्षात् मूर्ति माता सविंदर हरदेव जी ने एक नए युग का सर्जन किया और 'युग निर्माता' के रूप में प्रकट होकर अपने कर्तव्य को पूर्ण रूप से निभाया। वर्तमान समय में सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज नई सोच, एकाग्रता और सामुदायिक सामंजस्य की भावना के साथ इसे आगे से आगे बढ़ा रहे हैं।

     इस प्रकार *निरंकारी संत समागम* अनेकता में एकता का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है। -- *सुशील कुमार "अंश" (मुजफ्फरनगर)*

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