मुजफ्फरनगर। जिले के उद्योगों को कोयले की आपूर्ति नहीं मिल पाने से पेपर और लोहा उद्योग पर संकट के बादल छा गए है। उद्योगों के पास जो स्टॉक है वह खत्म होने के कगार पर है। ऐसी हालत में फैक्ट्रियां कभी भी बंद हो सकती है।
देश में चल रहे कोयले के संकट का असर यहां उद्योगों पर भी दिखाई देने लगा है। जिले में मुख्य रूप से दो बड़े उद्योग हैं, इनमें पेपर और लोहा उद्योग शामिल है। देश की सबसे ज्यादा 30 पेपर मिल मुजफ्फरनगर में है। इन पेपर मिलों में भूसे और कोयले से टरबाईन के माध्यम से बिजली बनती है। इस समय भूसा कम आने के कारण कोयले पर ही सभी मिल निर्भर हैं। प्रत्येक पेपर मिल के पास कोयले का 15 से 20 दिन का स्टॉक होता है। कोयले के संकट और किसी भी भाव नहीं मिल पाने के कारण उद्योगों की हालत पतली होती जा रही है। उद्यमी इस बात को लेकर परेशान है कि स्टॉक खत्म होते ही मिल बंद हो जाएगी।
पेपर मिल एसोसिएशन के प्रदेश के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल का कहना है कि जिले में पेपर मिलों में 130 मेगावाट बिजली खर्च होती है। इसमें 105 मेगावाट टरबाइन के माध्यम से कोयले से तैयार होती है और 25 मेगावाट विद्युत विभाग से खरीदी जाती है। टरबाईन से बिजली बनाने का लाभ यह है कि बीच में कट नहीं होता और उद्योग निरंतर चलता रहता है। कोयले की आपूर्ति नहीं हो पाने के कारण सभी उद्यमी परेशान है। इस समय मिलें पुराने स्टॉक से चल रही है। यदि व्यवस्था नहीं सुधरी तो कोयले का स्टॉक खत्म होते ही मिले बंद हो जाएगी। एक सप्ताह से कोयला मिल ही नहीं पा रहा है।
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