शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

कादिर राणा की सपा में एंट्री से टिकट के दावेदारों की नींद उडी


मुजफ्फरनगर । समाजवादी पार्टी में पूर्व सांसद कादिर राणा की एंट्री के साथ जिले के सियासी समीकरण में बदलाव आएगा? यह सवाल तमाम लोगों की जुबान पर है। 

कादिर राणा बडे मुस्लिम नेता हैं इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन जहां तक समाजवादी पार्टी का सवाल है तो मुस्लिम वोटर पहले से ही उसके पास है। ऐसे में कादिर राणा के रूप में बड़ा नेता तो पार्टी को मिल गया है पर इससे वोटों का बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद कम है। हां इससे हवा जरुर बनेगी। दूसरा सवाल यह है कि क्या कादिर टिकट के लिए सपा में आए हैं? ऐसा भी नहीं लग रहा है। सांसद रह चुके कादिर विधानसभा के लिये शायद ही टिकट मांगें। पर राजनीति में कुछ भी संभव है। यह सोचकर टिकट के दावेदारों की नींद उड सकती है। कादिर राणा जिले में बड़ा मुस्लिम चेहरा रहे हैं। हालांकि उनका नाम रिएक्शनरी वोट के लिए भाजपा इस्तेमाल करती रही है। कादिर राणा 1988 में वार्ड संख्या 26 से सभासद पद पर नगरपालिका बोर्ड में निर्वाचित होने के बाद राजनीति में आए। सभासद बनने के बाद कादिर राणा ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और कुछ ही समय में सपा नेता के रूप में उन्होंने एक बड़ी पहचान बनाई। उन्होंने सपा में जिलाध्यक्ष का दायित्व भी निभाया। 1998 में मुलायम सिंह यादव ने उनको विधान परिषद् में भिजवाया। 1993 के राम लहर वाले विधानसभा चुनाव में कादिर राणा को सपा से चुनाव लडे पर 72 हजार से भी ज्यादा वोट हासिल करने के बावजूद भाजपा के सुरेश संगल से पराजित हो गये। 2004 के लोकसभा चुनाव में कादिर राणा सपा से मजबूत दावेदार बने, लेकिन उनके स्थान पर मुजफ्फरनगर से सपा ने मुनव्वर हसन को टिकट दिया। राजनीतिक उपेक्षा के चलते उन्होंने सपा को छोड़ दिया। मुलायम सिंह यादव की सभा में विवाद के बाद उनका कद घट गया था। कादिर ने रालोद के टिकट पर 2007 में मोरना से चुनाव लड़ कर जीत दर्ज की। 

इसके बाद 2009 में उन्होंने बसपा का दामन थामा तो मायावती ने उनको मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में कादिर राणा दलित मुस्लिम समीकरण के सहारे जीत दर्ज कराने में सफल रहे और संसद में पहुंचे। 2014 के चुनाव में बसपा ने उनको फिर से मैदान में उतारा, लेकिन इस चुनाव में मोदी लहर के कारण वह भाजपा के संजीव बालियान के सामने हार गये। 2017 के चुनाव में बसपा से उनकी पत्नी सईदा बेगम को बुढ़ाना विधानसभा सीट से टिकट दिया गया। यह चुनाव भी वह हार गये। अब यूपी मिशन 2022 में कादिर राणा घर वापसी की तैयारी कर चुके हैं। कादिर राणा रविवार को लखनऊ में वह अपने समर्थक जिला पंचायत सदस्यों, पूर्व ब्लॉक प्रमुखों, पालिका सभासदों के साथ सपा ज्वाइन करेंगे। अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा में शामिल होंगे। बसपा से पूर्व सांसद राजपाल सैनी, शिवान सैनी, पूर्व विधायक अनिल कुमार, पूर्व प्रत्याशी राकेश शर्मा के बाद सपा में आने वाले कादिर राणा पांचवें नेता हैं। अब देखना होगा कि कादिर राणा सपा को क्या देते हैं और सपा उन्हें क्या देती है।

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