शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

पल्ला झाड़ने से जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगे किसान नेता?


मुजफ्फरनगर । किसान आन्दोलन में  तरनतारन पंजाब के युवक की बेरहमी से हत्या की घटना व आन्दोलन में अराजकता का विश्लेष  करते हुए अशोक बालियान, अध्यक्ष, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने इसे किसान आंदोलन के दौरान उपजी सोच का परिणाम बताया है। 

    दिनांक 15-10-2021 को सिंघु बार्डर पर तरनतारन (पंजाब) के युवक लखबीर सिंह की कुछ लोगों ने श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का आरोप लगाकर उसकी बेरहमी से हत्या कर बाद में उसको बैरिकेड पर टांग दिया। इस 'तालिबानी' बर्बरता का एक वीडियो भी वायरल हुआ है। किसान आन्दोलन के दौरान उपजी यह सोच आगे बहुत हिंसक घटनाओं को जन्म दे सकती है।  संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि इस घटना के पीछे निहंग सिख हैं। दिनांक 05-12-2020 को ये निहंग सिख संयुक्त किसान मोर्चे की मांगों के प्रति अपना पूरा समर्थन देने के लिए उनके बीच पहुंचे गये थे, और तब से सिंघु बार्डर पर ही जमे हुए है। इस बर्बर हत्याकांड पर मरने वाले युवक लखबीर सिंह के परिवार का कहना है कि निहंग व् किसान नेताओं द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि लखबीर सिंह श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी कर रहा था।       

   किसान आन्दोलन में  दिनांक 26-01-2021 को दिल्ली की सड़कों पर गणतंत्र दिवस पर जो कुछ भी हुआ था , उसने भारत के गणतंत्र के आदर्श को तार-तार किया था। देशवासी उस दिन के अराजक व् हिंसक दृश्यों को देखकर निराश हुए थे। इस दिन किसान आन्दोलन की कमान अराजक एवं राष्ट्र-विरोधी ताकतों के हाथ में थी। और अराजकता एवं हिंसा की घटनाएं किसान नेतृत्व के स्तरहीन एवं विघटनकारी मंशाओं का बखान कर रही थीं। उस दिन निहंग सिख घोड़ों पर एवं पैदल चलते हुए हथियार लेकर खतरनाक ढंग से आतंक फैला रहे थे।  दिनांक 12-04-2021 को भी किसान आंदोलन में शामिल एक निहंग ने कुंडली गांव के युवक पर तलवार से हमला कर दिया था। और कृषि बिलों के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान लोगों की निहंग सिखों से कई बार झड़प हो चुकी हैं। कुछ महीने पहले किसान आन्दोलन के दौरान पंजाब में एक बीजेपी विधायक  के पूरे कपड़े उतारकर उसे नंगा कर दिया गया था। 

    दिनांक 23-02-2021 को सिंघु बॉर्डर पर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के मंच पर निहंग सिख नेता ने अपने भाषण में कहा था कि पंजाब से पंगा लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने गलती कर दी है। जब दो सिखों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उन्हीं के घर में ढेर कर दिया, गोलियों से छलनी कर दिया तो मोदी की क्या चीज हैं। संयुक्त किसान मोर्चे के मंच से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ पहले दिन से अपशब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। किसान आन्दोलन में ही यहां पर आंदोलन करने आई एक युवती के साथ रेप की घटना भी हुई थी। दिनांक 16-06-2021 को टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में लोगों ने मुकेश नाम के व्यक्ति को जिंदा जला दिया था। लखीमपुर खीरी की हिंसक घटना में नीली पगड़ी पहने एक शख्स् की सफेद टी-शर्ट पर जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर छपी दिख रही थी, जिसपर खालिस्तान के समर्थन में एक स्लोग़न भी लिखा हुआ था।

 सिंघु बॉर्डर में जहां युवक की हत्या हुई है, वहां भी खालिस्तानी समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले का पोस्टर दिख रहा है। ये पोस्टर कहीं और नहीं बल्कि सिंघु बॉर्डर जहां पर किसान आंदोलन कर रहे हैं उसी जगह पर मौजूद था।पंजाब में खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के दौर में उसके आदेश पर हिंदूओं और उदारवादी सिखों की हत्याएं हो रही थी। वर्ष 1983 में जालंधर के पास बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज से हिंदुओं को उतार कर उनकी हत्या कर दी थी। हालांकि किसी सिख ने नहीं कहा कि यह अच्छा था, सभी ने इसकी निंदा की थी।  भिंडरावाले चाहते थे कि हिन्दू पंजाब छोड़ कर चले जाएं। ये सीधे-सीधे दिल्ली सरकार को चुनौती थी। ये ताकतें किसान आन्दोलन की आड़ में फिर सिर उठा रही है, लेकिन किसान आंदोलन का नेतृत्व इन घटनाओं के बाद बयान जारी इन घटनाओं से अपना पल्ला झाड़ लेता है।   

 कृषि सुधार के तीन कृषि कानूनों को सिखों के साथ कथित भेदभाव के मिश्रण के साथ पेश किया गया है और सिखों में इन कानूनों के नाम पर मोदी सरकार के खिलाफ नफरत पैदा करने का प्रयास चल रहा है। देश विरोधी ताकतें इस सरकार को हिन्दुओं की सरकार बताकर उसे उखाड़ने की लम्बी योजना पर काम कर रही है और इस योजना के अनुसार सिखों में नफरत भरने का प्रयास  चल रहा है।अगर यह आन्दोलन इसी तरह चलता रहा तो, युवा सिखों में मोदी सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त होने के कारण चरमपंथी गुट पैदा हो सकते है।  देश से बहार अनेक अलगाववादी नेता खालिस्तान की मांग को लेकर इंग्लैंड में प्रदर्शन आयोजित करते रहते हैं। और ये लोग पर्दे के पीछे किसान आन्दोलन में सक्रिय है। वैसे आम भारतीय सिख समुदाय इन लोगों के मंसबूो को बहुत पहले ही निरस्त कर चुका है। पुलिस के अनुसार भड़काऊ भाषण देने वाले के खिलाफ सबूत इकट्ठे किये जा रहे हैं। ऐसे भाषण देने वालों की हर गतिविधि पर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां नजर रख रही हैं। पुलिस सही वक्त पर कानून के मुताबिक अपना काम करेगी।

    पिछले ग्यारह महीनों से दिल्ली की जनता इस किसान आन्दोलन के कारण जिस तरह की समस्याओं से जूझ रही है, वह लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिये चिन्ताजनक है। किसानों के 40 से अधिक संगठन इस आंदोलन में शरीक हैं। और किसी एक फैसले पर उनका पहुंचना लगभग असंभव है। यह असंभव इसलिये भी है कि इस आन्दोलन में देश को तोड़ने के तार भी जुड़े हुए है। किसान आन्दोलन में अब तक अनेकों हुई हिंसक घटनाओं ने संयुक्त किसान मोर्चे की मंशा एवं मानसिकता को उजागर कर दिया है।  सुप्रीमकोर्ट का लम्बे समय तक कृषि कानूनों को स्थगित करने के बावजूद भी किसान आन्दोलन चलाना स्पष्ट दर्शाता है कि इस आन्दोलन की कमान किसानों के हाथों में न होकर अराजक एवं राष्ट्र-विरोधी ताकतों के हाथ में हैं। किसान आंदोलन से जुड़े लोगों यह कोशिश रही है कि बीजेपी नेताओं को निशाना बनाया जाए। अब तक तो यह प्रयोग पंजाब और हरियाणा में हो रहा था, इसको अन्य जगह भी प्रयोग करने का असफल प्रयास जारी है। लखीमपुर खीरी की घटना ने किसान संगठनों की मंशा पर सवाल उठा दिया है।

  किसान आन्दोलन में हर हिंसक घटना बातचीत की संभावना को क्षीण कर देती है।अब भी वक्त है किसान आंदोलन से जुड़े लोग किसान हित के कानूनों को रोकने की अपनी मांग छोडकर अपने आन्दोलन पर पुन: विचार करें। इन घटनाओं की शुरुआत से ही किसान आंदोलन में खालिस्तानियों के घुसपैठ करने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आखिरकार इन सबकी जिम्मेदारी कौन लेगा या फिर ये सब किसान आंदोलन के नाम पर यूं हीं चलता रहेगा। इस घटना को लेकर लोग सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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