गुरुवार, 28 अक्तूबर 2021

अहोई अष्टमी की कथा

🌸🔱अहोई अष्टमी व्रत कथा🔱🌸

अहोई अष्टमी व्रत (Ahoi Ashtami 2021) कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस दिन अहोई माता (पार्वती) की पूजा की जाती है. अहोई अष्टमी व्रत की महिमा का जितना वर्णन किया जाए, कम है. इस दिन किए उपाय आपकी हर मुश्किल दूर कर सकते हैं. इस एक व्रत से महिलाएं अपनी संतान की शिक्षा, करियर, कारोबार और उसके पारिवारिक जीवन की बाधाएं भी दूर कर सकती हैं. इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर, गुरुवार के दिन रखा जाएगा.

अहोई अष्‍टमी व्रत कथा- एक साहूकार के 7 बेटे थे और एक बेटी थी. साहूकार ने अपने सातों बेटों और एक बेटी की शादी कर दी थी. अब उसके घर में सात बेटों के साथ सात बहुएं भी थीं.

साहूकार की बेटी दिवाली पर अपने ससुराल से मायके आई थी. दिवाली पर घर को लीपना था, इसलिए सारी बहुएं जंगल से मिट्टी लेने गईं. ये देखकर ससुराल से मायके आई साहुकार की बेटी भी उनके साथ चल पड़ी.

साहूकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी, उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी. मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटीकी खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया. इस पर क्रोधित होकर स्याहु ने कहा कि मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी.

स्याहु के वचन सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से एक-एक कर विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें. सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है. 

इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं, वे सात दिन बाद मर जाते हैं सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा. पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी.

सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और छोटी बहु से पूछती है कि तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है और वह उससे क्या चाहती है? जो कुछ तेरी इच्छा हो वह मुझ से मांग ले. साहूकार की बहु ने कहा कि स्याहु माता ने मेरी कोख बांध दी है, 

जिससे मेरे बच्चे नहीं बचते हैं. यदि आप मेरी कोख खुलवा देतो मैं आपका उपकार मानूंगी. गाय माता ने उसकी बात मान ली और उसे साथ लेकर सात समुद्र पार स्याहु माता के पास ले चली.

रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं. अचानक साहूकार की छोटी बहू की नजर एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वह सांप को मार देती है. 

इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार दिया है इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है. 

छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है. गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है.

वहां छोटी बहू स्याहु की भी सेवा करती है. 

स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहू होने का आशीर्वाद देती है. स्याहु छोटी बहू को सात पुत्र और सात पुत्रवधुओं का आर्शीवाद देती है और कहती है कि घर जाने पर तू अहोई माता का उद्यापन करना. सात-सात अहोई बनाकर सात कड़ाही देना. उसने घर लौट कर देखा तो उसके सात बेटे और सात बहुएं बेटी हुईं मिली. वह ख़ुशी के मारे भाव-भिवोर हो गई. उसने सात अहोई बनाकर सात कड़ाही देकर उद्यापन किया


अहोई का अर्थ एक यह भी होता है 'अनहोनी को होनी बनाना.' जैसे साहूकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था. जिस तरह अहोई माता ने उस साहूकार की बहु की कोख को खोल दिया, उसी प्रकार इस व्रत को करने वाली सभी नारियों की अभिलाषा पूर्ण करें.👏🏻👏🏻

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