- जिले में ऑक्सीजन को लेकर मचे हाहाकार के बीच जिला प्रशासन ने जब से ऑक्सीजन फिलिंग सेंटर को अपने हाथों में लिया है तब से जिले की हालत बद से बदतर
प्रशासन के हाथ में कमान आने के बाद आक्सीजन के लिए जिले में मारामारी इस कदर बढ़ा दी गई है, कि रोते गिड़गिड़ाते दम घुटते लोगों की किसी को परवाह ही नहीं हो। जिले को मिले या ना मिले परंतु पड़ोस के जिले सहारनपुर व मेरठ सहित अन्य जनपदों में आक्सीजन की आपूर्ति उनका सबसे पहला कर्तव्य बन गया है। उत्पादन बढ़ाने और जिले में आक्सीजन का स्टोरेज बनाने के दावों के बावजूद ऐसा लगता है कि अधिकारी आक्सीजन पर कुंडली मारकर बैठ गए हैं। मरीजों को मरने के लिए छोड दिया गया है। होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों के तीमारदारों का एक ही काम रह गया है कि वे घंटों इंतजार करें और फिर खाली सिलेंडर लेकर लौट जाएं। जिम्मेदार अफसरों का अंदाज हिटलर जैसा है। रोज होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज दम तोड़ रहे हैं, जो प्रशासन के रिकाॅर्ड पर भी नहीं हैं। शहर में यह हाल है तो गांवों में क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसा लग रहा है कि व्यवस्था बनाने के नाम पर कुव्यवस्था से जिला जूझ रहा है। योगी जी बेचारे क्या करें। नेता मंत्री सब लाचार हैं। आक्सीजन वितरक बेबस हैं क्योंकि आक्सीजन बाबू व्यस्त हैं।
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