रविवार, 6 दिसंबर 2020

भाजपाईयों पर बमों से हमले के बाद तनाव


 कोलकाता। पश्चिम वर्धमान जिले में शनिवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कार्यकर्ताओं द्वारा भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर बमों से हमले के बाद हुई झड़प के दौरान कुछ लोग घायल हो गए जबकि कुछ घरों में भी तोड़फोड़ की गई है। इस बीच भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर बम फेंके और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए मौके पर पुलिस बल को भेजा गया है। यह झड़प तब हुई जब भाजपा की रैली पार्टी के राज्य व्यापी अभियान आर नोई अन्याय (और अन्याय नहीं) के तहत बराबानी मोड़ पर पहुंची। भाजपा ने आरोप लगाया कि टीएमसी समर्थकों ने उसके कार्यकर्ताओं को पीटा जबकि प्रदेश में सत्ताधारी दल ने आरोपों को खारिज करते हुए इस घटना को भाजपा की अंदरूनी लड़ाई करार दिया।

केंद्रीय मंत्री और आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो ने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे स्थानीय टीएमसी नेताओं का हाथ है। उन्होंने कहा,‘हमले के पीछे स्थानीय टीएमसी नेता हैं। कोयला खनन माफिया से जुड़े लोगों का हाथ भी इस घटना में है। यह पश्चिम बंगाल की हकीकत है।’ भाजपा का दावा है कि उसके सात कार्यकर्ता इस झड़प में घायल हुए हैं। घटना की निंदा करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा,‘पश्चिम बंगाल में कानून का शासन नहीं है। सिर्फ भाजपा के सत्ता में आने पर ही राज्य में कानून-व्यवस्था बहाल होगी।’

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय घायलों से मिलने पहुंचे, उन्होंने आरोप लगाया कि यह देखकर कि लोगों पर बम फेंके गए पुलिस कार्रवाई करने में नाकाम रही। पश्चिम बंगाल में कानून का शासन मौजूद नहीं है। हमने अपने वरिष्ठ नेताओंको सूचित सूचित कर दिया है और पार्टी के नेताओं की मांग है कि राज्य में तुरंत ही राष्ट्रपति शासन लगाया जाय।

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