मुजफ्फरनगर । एक सहायक शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) को आसिफ जायदा हत्याकांड में सही पैरवी नहीं करने पर जिलाधिकारी ने हटा दिया है। उन्होंने इस मामले में कोर्ट में हत्याकांड के प्रत्यक्षदर्शी एक पुलिसकर्मी की गवाही नहीं कराई। हालांकि इस मामले में गवाह पांच पुलिसकर्मियों में से चार कोर्ट में गवाही के दौरान पक्षद्रोही हो गए थे।
प्रयागराज के नैनी जेल में बंद जिले के कुख्यात अपराधी आसिफ जायदा को 17 अप्रैल 2015 को नैनी जेल से कोर्ट में पेशी के लिए पांच पुलिसकर्मी हैड कांस्टेबिल ब्रज किशोर मिश्रा, चंद्रसैन सैनी, कमलेश कुमार, जय हिंद आजाद व दीपेश ट्रेन से मुजफ्फरनगर कोर्ट में आए थे। फास्ट ट्रैक कोर्ट में उसकी पेशी के बाद जब पुलिसकर्मी उसे वापस ले जाने के लिए रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे तो कुख्यात बदमाश खालापार निवासी शाहरूख पठान एवं शोबी समेत पांच बदमाशों ने ताबड़तोड फायरिंग कर आसिफ जायदा को रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर ही गोलियों से भून दिया था। हालांकि गोली लगने से बुरी तरह से जख्मी आसिफ जायदा ने अपने पिता यासीन के समक्ष ही यह कहते हुए हत्यारोपी शाहरूख पठान आदि के नाम बता दिए थे कि उसके साथ साथियों ने ही गद्दारी कर दी है। इसी आधार पर जीआरपी थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराइ गई थी। 50 हजार का इनामी शारूख पठान कोर्ट में पेश होकर जेल चला गया था जबकि चारों अन्य आरोपी भी जेल चले गए। इस मामले की सुनवाई कोर्ट में हुई तो मुख्य गवाह आसिफ जायदा के पिता यासीन को भी हत्यारो ने गोलियों से भूनकर मार दिया था। इसके बाद केवल प्रयागराज के नैनी जेल से आसिफ जायदा को कोर्ट में लेकर आए पांचों पुलिसकर्मी ही हत्यारोपियों के खिलाफ प्रत्यक्षदर्शी गवाह रह गए थे। इनमें से चार पुलिसकर्मी कोर्ट में अपने बयानों से मुकर गए थे और अभियोजन का समर्थन नही किया था। जबकि एडीजीसी से प्रत्यक्षदर्शी चार पुलिसकर्मियों के अभियुक्तों के खिलाफ गवाही नही देने पर एडीजीसी ने पांचवे पुलिसकर्मी की प्रत्यक्षदर्शी गवाह होने के बावजूद कोर्ट में गवाही नही कराई। प्रभावी पैरवी नही होने से सरेआम प्लेटफार्म नंबर एक पर आसिफ जायदा की हत्या करने वाले शाहरुख पठान समेत सभी आरोपी सबूतों के अभाव में कोर्ट से बरी हो गए। इस मामले में जिला प्रशासन ने जांच कराई तो जांच में एडीजीसी को एक गवाह की गवाही नही कराने पर दोषी माना गया। अब जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने भाजपा सरकार में प्रदेश शासन द्वारा नियुक्त एडीजीसी को शासनादेश का हवाला देते हुए सहायक शासकीय अधिवक्ता पद से हटा दिया है।
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