देहरादून। आठवें भू - बैकुण्ठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट के देव मुहूर्त में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गये हैं और इसी के साथ उत्तराखण्ड की चारधाम यात्रा का सफल समापन भी हो गया। आज प्रात:कालीन चार बजे अभिषेक पूजा की गई। दोपहर डेढ़ बजे से कपाट बन्द होने की प्रक्रियायें प्रारम्भ हुई साथ ही सांयकालीन पूजा भी सम्पन्न हुई। इसके बाद अपराह्न तीन बजकर 35 मिनट पर श्री धाम के कपाट बंद कर दिए गए।इस दौरान गढ़वाल एस्कॉऊट की बैंड वादकों की मधुर धुनों पर तीर्थयात्री मंदिर परिसर के बाहर दी भर बोल बदरी विशाल ज़ी की जय के उद्घोष के साथ थिरकते नजर आये।अब शुक्रवार 20 नवम्बर को उद्धव जी और कुबेर जी की उत्सव मूर्ति योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। आज इस तरह से बदरीनाथ मंदिर के कपाट बन्द होने क़ी प्रक्रिया संपन्न हुई।
कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत 18 नवम्बर को मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करने के बाद लक्ष्मी जी का आह्वान किया। आज कपाट बंद होने से पहले माता लक्ष्मी को भगवान बदरीनाथ के मंदिर में विराजमान किया गया जहाँ सैकड़ों श्रद्धालु बुधवार को ही बदरीनाथ धाम पहुंच गए। इस दौरान कड़ाई भोग का आयोजन किया गया। कपाट बंद होने के दौरान 3 हजार तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम में मौजूद रहे। वही आज भगवान बदरीविशाल के कपाट दिनभर श्रद्धालुओं के लिए खुले रहे। मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया गया है।
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