ग्रेटर नोएडा l यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण उत्तर प्रदेश में पहला मेडिकल डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग्स पार्क बनाने की योजना पर काम कर रहा है। मंगलवार को डिवाइस पार्क के लिए दिल्ली में बिड ओपन की गई हैं। यूपी समेत 16 राज्यों ने बिड में भाग लिया है। केंद्र सरकार केवल चार राज्यों में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने की अनुमति देगी। इसके अलावा बल्क ड्रग पार्क बनाने के लिए यूपी समेत 13 राज्य ने प्रस्ताव दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने करीब 2 महीने पहले इन दोनों परियोजनाओं के लिए यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को नोडल एजेंसी नियुक्त किया था। यमुना प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने मंगलवार को बिडिंग प्रक्रिया में भाग लिया है। शैलेंद्र भाटिया का कहना है कि अगले 2 सप्ताह में मेडिकल डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग पार्क को लेकर फैसला हो जाएगा। इस परियोजना के लिए सेक्टर-28 में करीब 250 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है।
यमुना प्राधिकरण के अफसरों का कहना है कि प्रस्तावित एयरपोर्ट, प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और यहां की सुविधाओं को देखते हुए मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाएगी। मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने के लिए केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा था। मंगलवार को इसके लिए दिल्ली में केंद्र सरकार की संस्था आईएफसीआई लिमिटेड ने राज्य सरकारों के प्रस्तावों की बिड खोली हैं। इसमें देशभर के 16 राज्यों ने भाग लिया। ये राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर, राजस्थान, कर्नाटक, गोवा, केरला और उत्तराखंड हैं।बल्क ड्रग्स पार्क के लिए 13 राज्य दौड़ में शामिल
इसके अलावा यूपी में बल्क ड्रग पार्क बनाने के लिए भी काम कर रही है। इसके लिए 13 राज्यों ने प्रस्ताव दिए हैं। बल्क ड्रग पार्क पीलीभीत और ललितपुर में बनाने की तैयारी है। इन सभी प्रस्तावों पर केंद्र सरकार अगले 2 सप्ताह में फैसला ले सकती है।
हेल्थ सेक्टर को मजबूत करना चाहती है सरकार
कोरोना महामारी में स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने और चीन पर निभर्रता कम करने के लिए कवायद तेज हो गई है। इसको लेकर मेडिकल उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में मेडिकल उपकरणों का निर्माण करने के लिए मेडिटेक पार्क की डीपीआर कलाम ऑफ हेल्थ टेक्नोलॉजी (केआईएचटी) हैदराबाद बना रहा है। इस मेडिटेक पार्क में करीब 2 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। करीब 60 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
केंद्र सरकार 100 करोड़ रुपये देगी
इस परियोजना पर केंद्र सरकार 100 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में साइट का मुख्यमंत्री के मेडिकल सलाहकार ने दौरा भी किया है। यह इलाका इस हब के लिए बेहद अनुकूल है।
इस तरह के उपकरण बनेंगे
इस हब में रेडियोलॉजी व इमेजिंग मेडिकल उपकरण, एनेस्थेटिक व कार्डियॉरेस्पिरेट्री मेडिकल, कैंसर केयर व रेडियो थेरेपी मेडिकल डिवाइस और इंप्लांट्स व इंप्लांटेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाए जाएंगे। इसलिए इस पार्क को विकसित किया जा रहा है।
उद्यमियों को छूट देने की तैयारी
केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए एक शर्त रखी है। इसके तहत परियोजना में उपयोग होने वाली कुल जमीन का 50 प्रतिशत हिस्सा उद्यमियों को लंबी अवधि के लिए लीज पर दिया जाएगा। प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को बतौर साझीदार शामिल करने की योजना है। हालांकि अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
80 प्रतिशत मेडिकल उपकरणों को होता है आयात
भारत में अभी 20 प्रतिशत मेडिकल उपकरण बनाए जाते हैं। बाकी 80 प्रतिशत आयात किए जाते हैं। इस निभर्रता को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने यह पहल की है। यहां पर मेडिकल उपकरण बनने से कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है।
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