बुधवार, 14 अक्टूबर 2020

मंडी शुल्क समाप्त करवाने को सभी विधायकों और सांसदों से मुलाकात करेंगे


मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के गुड़ व्यापार में व्यापारियों के हितों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था फैडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स ने कहा है कि वह प्रदेश में कृषि उत्पादों पर मंडी शुल्क समाप्त करवाने के लिए पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी विधायकों और सांसदों से मुलाकात कर उन्हें न केवल ज्ञापन सोंपेगी वरन उनसे आग्रह करेगी कि वे राज्य सरकार पर इस संदर्भ में दबाव भी बनायें। फैडरेशन के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने कहा कि  राष्ट्र के ऊर्जावान लोकप्रिय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के हितों के लिए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य अधिनियम  2020 राष्ट्र को प्रदान किया है हम इसका ह्रदय की गहराईयों से स्वागत करते है  यह अधिनियम  किसानों को अपने उत्पाद अधिसूचित एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) मंडियों के बाहर बाधा मुक्त तरीके से व्यापार करने की अनुमति देता है। यह राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर किए गए कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर कर लगाने से रोकता है और किसानों को अपनी उपज को लाभकारी कीमतों पर बेचने की स्वतंत्रता देता है।निश्चित रूप से केंद्र सरकार यह कदम क्रांतिकारी है स्वागत योग्य है।   किन्तु   जब मंडी स्थल के बाहर की गयी खरीद फरोख्त मंडी शुल्क से मुक्त होगी तब मंडी स्थलों में 2.5 प्रतिशत  मंडी शुल्क देकर व्यापार  करना होगा न केवल घाटे का सौदा होगा वरन अव्यावहारिक  होगा।अतः ऐसे में मंडी स्थलों के व्यापारिक हितों के संरक्षण के लिए प्रदेश में मंडी शुल्क समाप्त किया जाना आवश्यक है उसके लिए जनप्रतिनिधयों का पहल करना अपेक्षित है।  अब जबकि पश्चिम उत्तर प्रदेश में गुड़ का उत्पादन शुरू हो गया है तब यह और भी आवश्यक हो जाता है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है की भाजपा शासित राज्यों में बिहार में पहले ही एपीएमसी एक्ट समाप्त कर  दिया गया है वहीं हरियाणा में मंडी शुल्क 4 प्रतिशत से घटा कर 1 प्रतिशत मध्य प्रदेश में 0.5 प्रतिशत व कर्नाटक में 0.35 प्रतिशत कर दिया गया है।


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