सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

कृषि को समवर्ती सूची में शामिल करने की मांग


मुजफ्फरनगर । पीजेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान ने कृषि क्षेत्र को संविधान की राज्य सूची से स्थानांतरित कर समवर्ती सूची में रखने के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि भारतीय कृषि की पूर्ण क्षमता को हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र को राज्य सूची से स्थानांतरित कर समवर्ती सूची में रखने के सम्बन्ध कृषि विशेषज्ञों की मांग लम्बे समय से चल रही है।किसानों की समस्याओं पर गठित एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय आयोग (नैशनल कमीशन ऑन फार्मर्स) ने कृषि क्षेत्र को राज्य सूची से स्थानांतरित कर समवर्ती सूची में रखने की सिफारिश की थी। कृषि समवर्ती सूची में आने से किसानों की सेवा और कृषि की संरक्षा केंद्र एवं राज्य दोनों का उत्तरदायित्व बन जाएंगे।


पत्र में कहा गया है कि कृषि विषय अगर समवर्ती सूची में लाया जाता है तो इससे कृषि एवं किसानों से जुड़े मसलों पर केंद्र सरकार अपेक्षाकृत अधिक निर्णायक कदम उठा पाएगी। केंद्र सरकार को उन कृषि विकास एवं किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भी राज्य सरकारों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिनका वित्त पोषण यह स्वयं कर रहा है। केंद्र द्वारा कृषि सुधार के कानूनों पर भी कुछ राज्य इनको चुनौती देने की बात कर रहे है। 


 उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में परिस्थितियां काफी बदल गई हैं। आधुनिक समय में कृषि क्षेत्रीय सीमाओं में बंधा नहीं रह गया है और अब राज्यों के बीच व्यापारिक सौदे इसका हिस्सा बन गए हैं। इतना ही नहीं, कृषि अब अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों खासकर व्यापार, उद्योग और सेवा से भी जुड़ गया है। अब कोई एक राज्य कृषि के संबंध में कोई निर्णय लेता है तो इसका प्रभाव दूसरे राज्यों की कृषि-अर्थव्यवस्था पर भी देखा जाता है।


पत्र में लिखा है कि कुछ राज्य सरकारों के असहयोग करने से किसानों की समस्याएं दूर करने एवं उनकी आय बढ़ाने के लिए शुरू की गईं केंद्र की कुछ योजनाएं अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रही हैं। किसानों की आय दोगुनी करने की संभावनाएं तलाशने के लिए गठित दलवाई समिति ने भी कृषि विपणन को समवर्ती सूची में रखने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि दलवाई समिति के अनुसार इससे कृषि मंडियों में व्यापक सुधार व मंडी शुल्क खत्म करने, इनकी परिचालन क्षमता में इजाफा और ग्रामीण विपणन तंत्र के विस्तार में केंद्र सरकार को आसानी होगी। इसलिए कृषि क्षेत्र को राज्य सूची से स्थानांतरित कर समवर्ती सूची में रखने से कृषि और किसान दोनों इससे लाभान्वित होंगे। वर्ष 1976 में 42वें संशोधन में शिक्षा, वन, नाप-तौल, वन्यजीवों एवं पक्षियों का संरक्षण, न्याय का प्रशासन पांच विषय राज्य से निकालकर समवर्ती सूची में डाल दिए गए थे। पत्र में अनुरोध किया गया है कि कृषि क्षेत्र को संविधान की राज्य सूची से स्थानांतरित कर समवर्ती सूची में रखने के सम्बन्ध में समुचित कार्यवाही करने का कष्ट करें।


पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य सुभाष चौधरी डॉ राजमोहन, कामरान हसनेन एडवोकेट, रजनीश सहरावत, विनीत बालियान, धर्मेन्द्र बालियान एडवोकेट, निखिल बालियान पत्र भेजने वालों में शामिल हैं।


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