मुजफ्फरनगर। केन्द्र सरकार द्वारा 5 जून को लागू किये गये अध्यादेशों के विरोध में भाकियू ने 25 सितंबर को बिल के विरोध में चक्का जाम और किसान कर्फ़्यू का ऐलान किया है। आज भी इन बिलों के विरोध में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया।
केन्द्र सरकार द्वारा इन अध्यादेशों को एक देश एक बाजार के रूप में कृषि सुधार की दशा में एक बड़ा कदम बता रही है। वहीं भारतीय किसान यूनियन इन अध्यादेशों को कृकृषि क्षेत्र में कम्पनी राज के रूप में देख रही है। कुछ राज्य सरकारों द्वारा भी इसकों संघीय ढांचे का उल्लंघन मानते हुए इन्हें वापिस लिये जाने की मांग कर रही है। देश के अनेक हिस्सों में इसके विरोध में किसान आवाज उठा रहे हैं। किसानों को इन कानून से कम्पनी की बंधुआ बनाये जाने का खतरा सता रहा है। कृषि में कानून नियंत्रण मुक्त, विपणन, भंडारण, आयात-निर्यात, किसान हित में नहीं है। इसका खामियाजा देश के किसान विश्व व्यापार संगठन के रूप में भी भुगत रहे हैं। देश में 1943-44 में बंगाल के सूखे के समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अनाज भंडारण के कारण 40 लाख लोग भूख से मर गये थे। समर्थन मूल्य कानून बनाने जैसे कृषि सुधारों से किसान का बिचैलियों और कम्पनियों द्वारा किया जा रहा अति शोषण बन्द हो सकता है और इस कदम से किसानों के आय में वृद्धि होगी। भारतीय किसान यूनियन आज जिला मुख्यालय मुजफ्फरनगर पर विरोध प्रदर्शन के माध्यम से निम्न मांग की कि कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020, आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन अध्यादेश 2020, कृषि और किसान विरोधी तीनों अध्यादेशों को तुरंत वापिस लिया जाये। न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी फसलों पर (फल और सब्जी) लागू करते हुए कानून बनाया जाये। समर्थन मूल्य से कम पर फसल खरीदी हो अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाये। मण्डी के विकल्प को जिन्दा रखने हेतु आवश्यक कदम उठायें जाएं एवं फसल खरीद की गारंटी हेतु कानून बनाया जाए। ज्ञापन राष्ट्रीय प्रवक्ता चै राकेश टिकैत, प्रदेश सचिव ओमपाल मलिक, मंडल महासचिव राजू अहलावत, नवीन राठी, जिलाध्यक्ष धीरज लाटियान व नगर अध्यक्ष शाहिद आलम की ओर से दिया गया।
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