बुधवार, 12 अगस्त 2020

शुकदेव आश्रम में मनाई जन्माष्टमी


मुजफ्फरनगर। भागवत पीठ शुकदेव आश्रम में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व श्रद्धा व भक्ति से मनाया गया। पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने कहा कि भारत की दैवीय संस्कृति है, जहां भगवान राम और कृष्ण का अवतरण हुआ।


अक्षय वट और शुकदेव मंदिर में पूजन के बाद बांके बिहारी का आचार्यो, पुरोहितों ने जन्मोत्सव मनाया। मंत्रोच्चार और भजनों के द्वारा गोविंद की महिमा सुनाई गई। पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का अवतरण विश्व की सबसे अनोखी घटना है। पूर्ण कलाओं के साथ श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते है। बंशीधर 64 विधाओं तथा 16 कलाओं में परिपूर्ण है, जो परिपूर्णता के अवतार और जीवंत आराध्य है। वह भारतीय जीवन और संस्कृति के प्राण है। कन्हैया जन-मानस में किसी न किसी रुप में रचे-बसे है। श्री कृष्ण के उपदेश सम्पूर्ण मानव जाति के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते है। उनका ज्ञान मानव कल्याण के लिए एक वरदान और अमृत तत्व है, जो जीवन के सत्य का बोध कराता है। योगेश्वर मानवता के सच्चे पथ प्रदर्शक है। जिस रुप में मनुष्य उनकी आराधना करता है। उसी रुप में आकर भक्त की मदद करते है। महाभारत में द्रोपदी इसका उदाहरण है। जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्री कृष्ण के जीवन आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए। आचार्य ज्ञान प्रसाद, गिरीश चंद उप्रेती, भागवत प्रवक्ता राम स्नेही आदि मौजूद रहे।


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