आज है सोमवती अमावस्या ऐसे करें शिव गौरा की पूजा
सावन के तीसरे सोमवार को ही क्यों मनाते हैं? जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त इस बार हरिद्वार का गंगा तट रहेगा सूना
भगवान शिव को समर्पित सावन मास का हर सोमवार बहुत खास होता है, लेकिन इस बार सावन का तीसरा सोमवार ज्यादा फलदायी है, इस बार इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. क्योंकि 20 साल बाद सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है. इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं. इससे पहले 31 जुलाई 2000 में ऐसा संयोग बना था. इस अमावस्या पर शिवजी के साथ ही देवी पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय स्वामी और नंदी का विशेष पूजा की जाती है.
पूजा में ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें. माता को सुहाग का सामान चढ़ाएं. इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करें. फिर पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाना चाहिए. सोमवार को चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह भी अपनी राशि में रहेंगे. इस दिन भगवान शिव की पूजन फलदायी रहेगा. महिलाओं को तुलसी की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिये.
सोमवती अमावस्या मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 20 जुलाई की रात 12 बजकर 10 मिनट पर
अमावस्या तिथि समाप्त - 20 जुलाई की रात 11 बजकर 02 मिनट पर
हरियाली अमावस्या पर किसी मंदिर में लगाएं पौधा
सावन माह की ये तिथि प्रकृति को समर्पित है. इस दिन प्रकृति को हरा बनाए रखने के लिए पौधा लगाना चाहिए. किसी मंदिर में या किसी सार्वजनिक स्थान पर छायादार या फलदार पौधे लगाएं. साथ ही, इस पौधे का बड़े होने तक ध्यान रखने का संकल्प भी लें.
अमावस्या पर किया जाता है व्रत
जीवन साथी के सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महिलाएं व्रत करती हैं. हरियाली अमावस्या पर मां पार्वती की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिल सकता है. विवाहित महिलाएं भी इस तिथि पर व्रत करती हैं और देवी मां की पूजा करती है. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखी बना रहता है.
अमावस्या पर पितर देवताओं की करें पूजा
अमावस्या तिथि पर घर के तर्पण, श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है. परिवार के मृत सदस्यों को ही पितर देवता कहा गया है. अमावस्या तिथि की दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए. गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं और उस पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी अर्पित करें.
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